जालिम कोरोना का बेरहम कहर बदस्तूर जारी है. लगातार लोगों के सुपर्द-ए-खाक होने का सिलसिला जारी रहा है. हर घंटे अस्पतालों में दम तोड़ते मरीजों की चित्कार को सुन लोगों का दिल पसीज रहा है. किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या किया जाए और क्या नहीं. बड़े-बड़े वैज्ञानिक इसका तोड़ निकाललने में जुटे हैं, लेकिन अफसोस उनके हाथ कुछ नहीं लग रहा है. भारत में कोरोना की गिरफ्त में आकर लोगों की जो दुर्गति हो रही है, उसे शायद ही शब्दों में बयां किया जा सकता है. अस्पतालों के दर पर दस्तक देने से पहले ही दम तोड़ दे रहे मरीजों के परिजन समेत डॉक्टर भी बेबस हैं.
खैर, यह तो रही भारत के सुरत-ए-हाल की बात, जिससे आप भलीभांति परिचित होंगे ही, मगर वर्तमान में जिस तरह के हालात नेपाल में बने हुए हैं, उसे लेकर इस बात की आशंका जताई जा रही है कि अगर यह सिलसिला यूं ही जारी रहा, तो वो दिन दूर नहीं जब कोरोना का तांडव वहां इतना घातक और खतरनाक होगा, जिसकी कल्पना कभी किसी ने भी नहीं की होगी.
बता दें कि नेपाल में एकाएक कोरोना के मामलों में इजाफा दर्ज किया गया है. संक्रमण के मामलों में आए ये इजाफे इस बात का संकेत हैं कि आने वाले दिनों का मंजर कुछ खौफनाक होने जा रहा है. अभी नेपाल में जितने भी लोगों के टेस्ट किए गए हैं, उसमें से 44 फीसद लोग कोरोना से पॉजिटिव पाए गए हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, नेपाल में काफी तेजी से कोरोना अपना पैस पसारते जा रहा है.
भारत से भी ज्यादा घातक हो सकती है स्थिति
यूं तो भारत में भी स्थिति बेकाबू ही हो चुकी है. संक्रमण के मामले 4 लाख के पार पहुंच चके हैं, मगर जिस तरह के हालात अभी बने हुए हैं, उसे देखते हुए माना जा रहा है कि भारत तो अपने यहां की स्थिति काफी हद तक संभाल भी पा रहा है, मगर नेपाल पर अगर ऐसी विपदा आई, तो वो अपने हालातों को दुरूस्त करने की स्थिति में नहीं होगा. अभी नेपाल की स्थिति रूह कंपा देने वाली है. अस्पताल मरीजों से भर चुके हैं. दूसरी बीमारियों से ग्रसित मरीजों का उपाचर नहीं हो पा रहा है.
मरीजों की बढ़ती तादाद को देखते हए चिकित्सक कम पड़ रहे हैं. वहीं, इन सब हालातों से व्यथ्ति हुए नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली शर्मा समृद्ध देशों से मदद की गुहार लगा रहे हैं, मगर ऐसे वक्त में किसी भी देश के लिए नेपाल की मदद करना मुमकिन नहीं है. वर्तमान में सभी देश खुद से ही जूझते हुए दिख रहे हैं. अब ऐसे में नेपाल की आगे चलकर क्या स्थिति होती है? यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा. क्या स्वास्थ्य विशेषज्ञों की भविशष्यवाणी सच साबित होती है या आने वाले दिनों में कोरोना के मामले नेपाल में कम होंगे? यह सभी प्रशन तो अभी भविष्य के गर्भ में छुपे हुए हैं.
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