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काम तो बेशुमार, लेकिन नाम कुछ भी नहीं, जानें क्यों हमारे देश में दयनीय है महिला किसानों की दशा

आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हर कोई महिलाओं की उपलब्धियों पर बात कर रहा है. हर जुबां पर महज महिलाओं की शानदार उपलब्धियों का बखान ही सुनने को मिल रहा है. अतीत की पीड़ादायक स्थिति से लेकर महिलाओं के अब तक के सफर को लोग अलग-अलग तरह से बयां कर रहे हैं.

सचिन कुमार
Women Farmers
Women Farmers
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर हर कोई महिलाओं की उपलब्धियों पर बात कर रहा है. हर जुबां पर महज महिलाओं की शानदार उपलब्धियों का बखान ही सुनने को मिल रहा है. अतीत की पीड़ादायक स्थिति से लेकर महिलाओं के अब तक के सफर को लोग अलग-अलग तरह से बयां कर रहे हैं.

बेशक, इस बात में कोई दोराय नहीं है कि आज की तारीख में महिलाओं ने अपनी प्रतिभा के दम पर अपनी एक अलग पहचान स्थापित की है, लेकिन एक ऐसा क्षेत्र, जहां देश की तकरीबन 60 फीसद आबादी सक्रिय है, वहां महिलाओं का योगदान हमेशा से रहा है, मगर अफसोस आज तक कभी उनके योगदान को नहीं सराहा गया. हम बात कर रहे हैं, कृषि क्षेत्र की, जहां देश की 60 फीसद आबादी प्रत्यक्ष तौर पर सक्रिय है, वहां महिलाओं के योगदान को आखिर इस कदर उपेक्षित किया गया. जानने के लिए पढ़िए हमारी ये खास रिपोर्ट

नहीं मिली महिलाओं को कोई जिम्मेदारी

यह अलग मसला है कि अगर कृषि क्षेत्र में महिलाओं को तरजीह दी जाती, तो इस क्षेत्र की क्या हालत होती? लेकिन अभी की हालिया स्थिति यह है कि इस क्षेत्र में महिलाओं की अहम भूमिका के बाद भी उनके योगदान को सराहा नहीं जा रहा है. यहां तक की कृषि संस्थानों में महिलाओं को कोई खास तवज्जो नहीं दी जा रही है. यहां तक की केंद्रीय कृषि महिला संस्थान की निदेशक की जिम्मेदार भी एक पुरुष को ही दी गई है.

इस संदर्भ में विस्तृत जानकारी देते हुए नीति आयोग की कृषि सलाहकार डॉ नीलम पटेल कहती हैं कि, 'कृषि क्षेत्र में सबसे ज्यादा महिलाएं कार्यरत हैं, लेकिन इसके बावजूद भी इनके योगदान को सराहा नहीं गया है. कृषि को लेकर लोगों की पुरुष मानसिकता बनी हुई है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि यह सवाल पूछा जाना चाहिए कि इतनी बड़ी संख्या में स्त्रियों के योगदान के बावजूद भी उनके काम में सहूलियतें देने हेतु किसी भी प्रकार के मशीन को आखिर क्यों विकसित नहीं किया गया.

वहीं, महिला अधिकारों को लेकर काम करने वाली जगमति सांगवान कहते हैं कि, 'खेती में सबसे ज्यादा महिलाएं ही काम करती हैं, लेकिन इसके बावजूद भी कभी उनके योगदान को नहीं सराहा जाता है. इस क्षेत्र में हमेशा से ही पुरुषों का नाम होता आया है. लिहाजा, अब हमें इस क्षेत्र में महिलाओं के योगदान को बढ़ाने की दिशा में कुछ कदम उठाने होंगे. 

अविस्मरणीय है महिलाओं का योगदान

यूनाइटेड नेशन के खाद्य कृषि संगठन (FAQ) के मुताबिक, भारतीय कृषि में महिलाओं का योगदान 32 फीसद है. इतना ही नहीं, ग्रामीण इलाकों में तो कृषि क्षेत्र में महिलाओं का योगदान 48 फीसद से भी अधिक है, लेकिन यहां भी हमेशा से ही पुरुषों को तरजीह दी जाती रही है. बहरहाल, अब कृषि में महिलाओं की भूमिका को सराहने के लिए सरकार की तरफ से कई योजनाएं भी चल रही है.   

English Summary: Contribution of Women in Agriculture Published on: 08 March 2021, 05:55 PM IST

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