Kuno National Park: मध्य प्रदेश के श्योपुर के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park) में जल्द और 12 चीतें नजर आने वाले हैं. इन चीतों को लाने के लिए साउथ अफ्रीका से भारतीय वायुसेना का विशेष विमान सी-17 ग्लोबमास्टर उड़ान भर चुका है. इस विशेष विमान में वेटरनरी डॉक्टर और चीता एक्सपर्ट लारेल भी चीतों के साथ आएंगी. यह विमान 18 फरवरी की सुबह 10:00 बजे चीतों को लेकर ग्वालियर लैंड करेगा.
देश की प्राकृतिक विरासत को फिर से स्थापित करने में मिलेगी सहायता
इसको लेकर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि चीता को भारत वापस लाने से देश की प्राकृतिक विरासत को फिर से स्थापित करने में सहायता मिलेगी. इसके अलावा उन्होंने स्थानांतरण के लिए अपना पूरा समर्थन देने को लेकर रक्षा मंत्रालय और भारतीय वायु सेना को भी धन्यवाद दिया. बता दें कि इस पूरी सेवा के लिए रक्षा मंत्रालय और एयर फोर्स ने पर्यावरण मंत्रालय से किसी भी तरह की कोई फीस नहीं ली है और निशुल्क सेवा प्रदान कर रही है.
भारत में चीतों का इतिहास
आपको बता दें कि भारतीय वन क्षेत्र में अंतिम चीतों को साल 1947 में दर्ज किया गया था, जहां छत्तीसगढ़ के कोरिया जिला स्थित साल के जंगलों में तीन चीतों को गोली मार दी गई थी. भारत में चीतों की संख्या में कमी के मुख्य कारणों में बड़े पैमाने पर वन से जानवरों को पकड़ने, इनाम व खेल के लिए शिकार, व्यापक आवास रूपांतरण के साथ-साथ चीताओं के शिकार क्षेत्र में कमी शामिल थी. साल 1952 में चीतों को विलुप्त प्रजाति घोषित कर दिया गया.
चीता पुनर्वास परियोजना का लक्ष्य
भारत में चीता पुनर्वास परियोजना का लक्ष्य भारत में व्यवहार्य चीता मेटापॉपुलेशन स्थापित करना है, जो चीता को एक शीर्ष शिकारी के रूप में अपनी कार्यात्मक भूमिका निभाने की सुविधा देता है और चीता को उसकी ऐतिहासिक सीमा के भीतर विस्तार के लिए जगह प्रदान करता है, जिससे उसके वैश्विक संरक्षण के प्रयासों में योगदान मिलता है.
चीता पुनर्वास परियोजना के प्रमुख उद्देश्य हैं:
अपनी ऐतिहासिक सीमा के भीतर सुरक्षित आवासों में प्रजनन करने वाली चीता की आबादी स्थापित करने और उन्हें मेटापॉपुलेशन के रूप में प्रबंधित करना.
खुले जंगल और सवाना प्रणालियों को बहाल करने के उद्देश्य से संसाधनों को इकट्ठा करने के लिए चीता को एक करिश्माई प्रमुख और अम्ब्रेला प्रजाति के रूप में उपयोग करना, जो इन इकोसिस्टम्स से जैव विविधता और वातावरण सेवाओं को लाभान्वित करेगा.
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स्थानीय सामुदायिक आजीविका को बढ़ाने के लिए पर्यावरण-विकास और पर्यावरण-पर्यटन के आगामी अवसर का उपयोग करना.
मुआवजे, जागरूकता और प्रबंधन की कार्रवाई के माध्यम से चीता संरक्षण क्षेत्रों के भीतर चीता या अन्य वन्यजीवों द्वारा स्थानीय समुदायों के साथ किसी भी टकराव को तेजी से प्रबंधित करना.
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