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केंद्र ने किसानों से किए वादे अभी तक पूरे नहीं किए: संयुक्त किसान मोर्चा

संयुक्त किसान मोर्चा ने सरकार द्वारा किए गए पिछले वादों को याद दिलाया और इसको पूरा न करने पर फिर से देशव्यापी आंदोलन की बात कही है.

रवींद्र यादव
संयुक्त किसान मोर्चा का विरोध प्रदर्शन
संयुक्त किसान मोर्चा का विरोध प्रदर्शन

Farmer Protest: केंद्र द्वारा तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त करने पर सहमत होने के सोलह महीने बाद दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया. संयुक्त किसान मोर्चा ने नवंबर 2021 के बाद यह आंदोलन किया जिसका उद्देश्य सरकार द्वारा किए गए अन्य अधूरे वादों के बारे में केंद्र को याद दिलाना था.

संयुक्त किसान मोर्चा, विरोध करने वाले किसान समूहों का एक समन्वयक गठबंधन है, इनकी मांग यह है कि केंद्र सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए एक कानून के संबंध में अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करे और आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर दर्ज किए गए सभी मुकदमे वापस ले.

एसकेएम के वरिष्ठ नेता हन्नान मोल्लाह, जो वामपंथी अखिल भारतीय किसान सभा के उपाध्यक्ष भी हैं, उन्होंने बताया कि कृषि कानूनों को वापस ले लिया गया है, लेकिन अगर केंद्र आंदोलन के निलंबन के समय हमें दिए गए आश्वासनों की अनदेखी करता रहा, तो हम इस विरोध को और मजबूत करेंगे. हम देशव्यापी विरोध की शुरुआत करेंगे.

एसकेएम नेताओं ने केंद्र से बिजली संशोधन विधेयक को तुरंत वापस लेने का भी आग्रह किया, जिस पर अब ऊर्जा पर संसदीय स्थायी समिति द्वारा विचार किया जा रहा है. उनका कहना है कि केंद्र ने वादा किया था कि वह बिजली संशोधन विधेयक पर एसकेएम से परामर्श करेगा, लेकिन अभी तक किसी ने हमसे संपर्क नहीं किया है. हमारी मांग इस बिल को पूरी तरह से वापस लेने की है. इस विधेयक के लागू होने से बिजली बिलों में 200 से 300% की वृद्धि होगी.

संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी मांगों और केंद्र की अधूरी प्रतिबद्धताओं को सूचीबद्ध किया. मोर्चा ने  स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले का उपयोग करते हुए सभी फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी देने वाला कानून, केंद्र द्वारा गठित एमएसपी समिति को बर्खास्त करना और किसान समूहों के उचित प्रतिनिधित्व के साथ एक नई समिति का गठन करना, सभी कृषि ऋणों की माफी, लखीमपुर खीरी की एक घटना में चार प्रदर्शनकारी किसानों और एक पत्रकार की हत्या की साजिश में कथित संलिप्तता के लिए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की बर्खास्तगी, लखीमपुर खीरी पीड़ितों के लिए मुआवजा और नौकरी, किसानों और कृषि श्रमिकों के लिए व्यापक फसल बीमा और ₹5000 प्रति माह की पेंशन और बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेने की मांग को सरकार के सामने रखा है.

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एसकेएम नेताओं ने मांग की कि किसान आंदोलन के दौरान भाजपा शासित राज्यों और अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किसानों के खिलाफ जो फर्जी मामले दर्ज किए गए हैं, उन्हें तुरंत वापस लिया जाना चाहिए और सिंघू मोर्चा में शहीद किसानों के लिए एक स्मारक के निर्माण के लिए भूमि आवंटन किया जाना चाहिए,

English Summary: Centre yet to fulfill promises it made to farmers: Samyukt Kisan Morcha Published on: 20 March 2023, 11:35 AM IST

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