केंद्र सरकार ने कृषि डीएसएस (Krishi Decision Support System) नामक एक वेब पोर्टल लॉन्च किया है जिसका उद्देश्य किसानों को फसल प्रबंधन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण डेटा उपलब्ध कराना है. यह नीति निर्माताओं को मानवीय हस्तक्षेप के बिना जमीनी स्तर से सटीक जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा.
कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी ने शुक्रवार को नई दिल्ली में कृषि-डीएसएस का अनावरण करते हुए कहा कि भू-स्थानिक प्लेटफॉर्म फसल की स्थिति, मौसम के पैटर्न, जलाशय भंडारण, भूजल स्तर और मिट्टी की स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में वास्तविक समय की जानकारी प्रदान करेगा. चौधरी ने कहा, "जलवायु चुनौतियों पर बढ़ती चिंताओं के बीच यह प्लेटफॉर्म किसानों के लिए एक नया मील का पत्थर साबित होगा."
Krishi DSS को गति शक्ति पहल के समान प्रौद्योगिकी का उपयोग करके विकसित किया गया है, ताकि कीटों के हमलों और चरम मौसम की घटनाओं जैसी संभावित आपदाओं के बारे में पूर्व चेतावनी दी जा सके.
डेटा की भरमार
कृषि मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि यह प्रणाली फसल मानचित्रण, निगरानी और फसल चक्रण तथा विविधीकरण को बढ़ावा देने में सहायता करेगी. मंत्रालय ने कहा कि यह विभिन्न क्षेत्रों में फसल पैटर्न पर डेटा प्रदान करेगा और विभिन्न विकास चरणों में फसल की स्थिति पर नज़र रखेगा.
एक अधिकारी ने कहा, "फसल मानचित्रण और निगरानी के साथ, हम विभिन्न वर्षों में पार्सल-स्तरीय फसल मानचित्रों का विश्लेषण करके फसल पैटर्न को समझने में सक्षम होंगे. यह जानकारी फसल चक्रण प्रथाओं को समझने में मदद करती है और विविध फसलों की खेती को प्रोत्साहित करके टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देती है."
मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि पोर्टल सूखे की बेहतर निगरानी में मदद करेगा क्योंकि मिट्टी की नमी, जल भंडारण, फसल की स्थिति, सूखे की अवधि और आईएमडी के पूर्वानुमान जैसे विभिन्न संकेतकों पर जानकारी लगभग वास्तविक समय पर होगी. अधिकारी ने कहा कि चूंकि मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना से डेटा उपलब्ध है, इसलिए अन्य सूचनाओं के साथ विश्लेषण करने पर कृषि-डीएसएस पोर्टल के साथ इसका एकीकरण किसानों को फसल की उपयुक्तता और मृदा जल संरक्षण उपायों को लागू करने के लिए भूमि क्षमता पर सलाह देने में मददगार होगा.
रिमोट सेंसिंग के उपयोग का विस्तार
कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी ने कृषि में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के लाभों पर जोर दिया और अधिक फसल किस्मों में रिमोट सेंसिंग के उपयोग को बढ़ाने का आग्रह किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि पूर्व चेतावनी प्रणाली किसानों की जान बचाने में मदद कर सकती है और उत्तर प्रदेश में ऐसे उदाहरण दिए जहां बिजली गिरने की घटनाओं के कारण खेत में काम करने वाले मजदूरों के साथ-साथ किसानों की भी मौत हो जाती है.
इस अवसर पर बोलते हुए इसरो अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक नीलेश एम देसाई ने कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों का प्रयोग 1969 से कृषि क्षेत्र में किया जा रहा है, लेकिन इनका प्रयोग धान और गेहूं से आगे बढ़ाने की आवश्यकता है.
कृषि-डीएसएस प्लेटफॉर्म को अंतरिक्ष विभाग के RISAT-1A और VEDAS का उपयोग करके विकसित किया गया है. इस प्लेटफॉर्म के प्रक्षेपण की योजना राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस से पहले बनाई गई थी, जो 23 अगस्त को विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग और चंद्रयान-3 मिशन के तहत चंद्रमा पर प्रज्ञान रोवर की तैनाती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.
वही कृषि और किसान कल्याण विभाग, अंतरिक्ष विभाग, इसरो केंद्र, विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों (आईएमडी, सीडब्ल्यूसी, एनडब्ल्यूआईसी, एनआईसी, आईसीएआर, एसएलयूएसआई, एनएनसीएफसी) राज्य रिमोट सेंसिंग केंद्र, राज्य कृषि विभाग, संस्थान/विश्वविद्यालय, कृषि-तकनीक उद्योग के अधिकारी/प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में शामिल हुए.
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