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बजट 2018 भारत में कृषि सुधार की आखि‍री उम्मीद है, सरकार को उठाने होंगे ये कदम

आम बजट 2018 मौजूदा सरकार का आखि‍री फुल बजट होगा क्योंदकि बहुत हद तक मुमकि‍न है कि 2019 में चुनाव की वजह से वोट ऑन एकाउंट पेश हो। ऐसे में कृषि सुधार से जुड़े कुछ ऐसे जरूरी मुद्दे हैं जि‍नपर बजट में ठोस ऐलान होना चाहि‍ए।

आम बजट 2018 मौजूदा सरकार का आखि‍री फुल बजट होगा क्‍योंकि बहुत हद तक मुमकि‍न है कि 2019 में चुनाव की वजह से वोट ऑन एकाउंट पेश हो। ऐसे में कृषि सुधार से जुड़े कुछ ऐसे जरूरी मुद्दे हैं जि‍नपर बजट में ठोस ऐलान होना चाहि‍ए। 

यह बहुत अजीब है कि एक तो ओर तो  देश में 30 फीसदी कंज्‍यूमर भूखा है, 50 फीसदी बच्‍चे कुपोषण का शि‍कार हैं, 60 फीसदी महि‍लाओं और बच्‍चों में पोषण की कमी है वहीं दूसरी ओर  30 फीसदी भोजन हर साल वेस्‍ट हो जाता है। कि‍सानों की आय कंज्‍यूमर की फूड सिक्‍योरि‍टी से जुड़ी है, इस तथ्‍य के बावजूद ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी बढ़ रही है। इसलि‍ए अब यह बेहद जरूरी हो गया है कि हम जमीनी हीककत को स्‍वीकार करें और उसी हि‍साब से प्‍लानिंग करें।

1 एग्रीबि‍जनेस इनफॉर्मेशन नेटवर्क बने- सरकार को 1000 परफॉर्मेंस सेंटर के र्नि‍माण के लि‍ए 5000 करोड़ रुपए का आवंटन करना चाहि‍ए। इन सेंटरों का काम ट्रेनिंग, सॉइल टेस्‍टिंग और फूड टेस्‍टिंग के लि‍ए लैब की ग्रेडिंग करने सहि‍त अन्‍य सेवाएं मुहैया कराना होगा। इन्‍हें संभालने का जिम्‍मा कॉपरेटि‍व्स, फूड प्रोड्यूसर्स ऑर्गनाइजेशन और स्‍थानीय स्‍टेक होल्‍डर्स के हाथ में हो। यूजर चार्ज की मदद से इसे ऑपरेट कि‍या जाए। इन सभी केंद्रों को एग्री सर्वि‍स नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है। खरीददार और  कि‍सान को एक दूसरे से मि‍लाने के लि‍ए इन्‍हें अन्‍य मार्केट प्‍लेटफॉर्म से जोड़ दि‍या जाए।

2 वेयरहाउसिंग इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर ग्रीड बनाया जाए- हर साल भारत में करीब 1 लाख करोड़ का भोजन बेकार हो जाता है। यह बेहद जरूरी है कि भारत की जि‍तनी जरूरत है उसका कम से कम 50 फीसदी स्‍टोर करने की क्षमता हमारे पास हो। इससे कि‍सान के ऊपर अपनी उपज बेचने की मजबूरी नहीं रहेगी वह सही समय पर मार्केट के हि‍साब से उपज को बाजार में लाने को स्‍वतंत्र होगा। इसके अलावा भोजन की महंगाई दर पर भी काबू रहेगा। हमारा मकसद ये होना चाहि‍ए कि स्‍टोरेज की कमी के चलते भोजन बर्बाद न हो। देश की सभी स्‍टोरेज फैसेलि‍टी को नेशनल वेयरहाउसिंग ग्रि‍ड से जोड़ दि‍या जाए।

3 एग्रीकल्‍चर मार्केटिंग एक्‍ट लाया जाए- जैसे सरकार ने इंडस्‍ट्री और सर्वि‍स सेक्‍टर के लि‍ए जीएसटी को लागू कि‍या उसी तरह से खेतीबाड़ी के लि‍ए एग्रीकल्‍चर मार्केटिंग एक्‍ट लाया जाए। इसका मकसद सभी को बाजार में एक वाजि‍ब जगह दि‍लाना होगा। आज एग्रीकल्‍चर मार्केट औपचारि‍क इकोनॉमिक सि‍स्‍टम से बाहर है। इसमें सबसे ज्‍यादा नुकसान कि‍सान को हो रहा है और बि‍चौलिए सबसे ज्‍यादा फायदे में हैं।

4 एग्रीबि‍जनेस नॉलेज नेटवर्क बनाया जाए- यह बहुत जरूरी हो गया है कि खेतीबाड़ी से जुड़े सभी वि‍भागों और यूनिवर्सिटी की समीक्षा की जाए। हर यूनि‍वर्सि‍टी और रिसर्च व डेवलपमेंट सेंटर में कम से कम 51 फीसदी भागीदारी खेतीबाड़ी से डायरेक्‍ट जुड़े लोगों की होनी चाहि‍ए। हर स्‍टेट यूनिवर्सि‍टी के पास उस इलाके की कम से कम तीन 3 मुख्‍य फसलों और एक पशु की जिम्‍मेदारी हो। इन यूनि‍वर्सि‍टी की जिम्‍मेदारी होगी कि वह इस फसलों के संबंध में अपनी जानकारी छोटे स्‍तर पर लोगों तक पहुंचाए, ताकि‍ कि‍सानों अच्‍छी उपज हासि‍ल कर सकें।

केद्र सरकार को एग्रीकल्‍चर मार्केटिंग में सुधार के लि‍ए गंभीर कदम उठाने होंगे ताकि ग्रामीण अर्थव्‍वस्‍था को लाभ पहुंच सके और आम ग्रामीण को उसकी जिंदगी में एक सकारात्‍मक बदलाव महसूस हो सके।

 

साभार

दैनिक भास्कर

English Summary: Budget 2018 is the last destination for agricultural reform in India, the government has to take these steps Published on: 15 January 2018, 11:59 PM IST

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