हर किसान चाहता है कि उसकी फसलें जैविक (Organic Farming) तरह से उगें, ताकि मंडी व मार्किट में जाने के बाद उसका उचित लाभ मिल सके. कई बार ऐसा होता है किसान अपनी कृषि प्रक्रिया (Farming Process) को बदलना चाहते हैं, लेकिन फसलों को जल्दी उगाने व अन्य चीज़ों के चलते उन्हें अपनी फसलों में रसायन (Use of Chemical in Agriculture) का इस्तेमाल करना ही पड़ता है.
किसान क्यों अपनाएं बीकेपी विधि (Why should farmers adopt BKP method?)
इसी कड़ी में यूपी के वाराणसी (Varanasi, UP) में बीकेपी विधि (Indian Agricultural System) से जैविक खेती (Organic Farming) की तैयारी की जा रही है. बता दें कि 6 हज़ार एकड़ में BKP विधि से खेती करने का लक्ष्य रखा गया है. इसी के चलते कृषि विभाग ने इस कार्य को अंजाम देने के लिए किसानों का चयन शुरू कर दिया है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस विधि से वाराणसी में जायद, खरीफ व रबी (Zaid, Kharif & Rabi) सहित अन्य फसलों की खेती की जाएगी. खास बात यह है कि इस विधि से जैविक खेती को बढ़ावा तो मिलेगा ही मिलेगा साथ ही मिट्टी गुणवत्ता में भी सुधार (Improvement of Soil Quality) आ सकेगा.
केमिकल फार्मिंग से मिलेगा निजात (Get rid of chemical farming)
वहीं, यूपी के इस क्षेत्र में हर साल करीब 70 हज़ार हेक्टेयर गेंहू व धान की खेती (Wheat and Rice Farming) की जाती है. और फसलों की अधिक पैदावार (High Yield Production) के लिए किसान केमिकल उर्वरकों सहित अन्य रसायन की चीज़ों (Chemical Farming) का उपयोग किया जाता है.
नतीजन इससे मिट्टी की गुणवत्ता में लगातार हानि होती है और इसकी उर्वरा शक्ति भी तेज़ी से घटती चली जाती है. जिसके बाद उपजाउ खेत धीरे- धीरे यह बंजर ज़मीन (Barren Land) में तब्दील होना शुरू हो जाता है.
सुधरेगी मिट्टी की गुणवत्ता (Improve soil quality)
मिट्टी की गुणवत्ता (Soil Quality) व खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार काम तो कर ही रही है साथ ही जैविक खेती (Organic Farming) की तरह किसानों रुझान भी बढ़ा रही है.
ऐसे में करीब बीतें कुछ सालों से जैविक खेती के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई (Schemes for Organic Farming) जा रही हैं, ताकि मिट्टी में उर्वरा शक्ति बढ़ सके. यही वज़ह है कि बीकेपी यानि भारतीय कृषि पद्धति की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं.
इस संदर्भ में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के कृषि अनुसार उप निदेशक अरविंद सिंह (Agriculture Deputy Director Arvind Singh) ने कहा कि "नए सत्र में छह हजार एकड़ में खेती शुरू की जाएगी. इसमें किसान के लिए गाय रखना अनिवार्य होगा. उनके गोबर और मूत्र से जीवामृत तैयार किया जाएगा, जो फसल के लिए फायदेमंद साबित होगी. इसके लिए सभी प्रखंडों से एक हजार किसानों का चयन किया जाएगा. सरकार कृषि में 100 प्रतिशत सब्सिडी देगी".
आगे उप निदेशक कृषि अरविंद सिंह का कहना है कि "200 लीटर के ड्रम में 15 किलो गोबर, 10 लीटर मूत्र, एक किलो बेसन, दो किलो गुड़, बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी डालें. उसके बाद जितना पानी ड्रम खाली हो उतना पानी भरकर जूट के बोरे से ढक दें. इसे एक ड्रम में चार दिन गर्मी में और सात दिन ठंड में रखें. इसके बाद हर महीने फसल का छिड़काव करें. यदि फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव किया गया है तो नीममृत से इसे बचाया जा सकता है.
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