नालंदा के आलू को केन्द्र सरकार द्वारा ऑपरेशन ग्रींन के तहत चुन लिया गया है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि नालंदा जिले में लगभग हर किसान को उपज सरप्लस में हुआ है. अब देश के हर क्षेत्र में जिले से आलू का निर्यात किया जाएगा. इसके लिए बाकायदा फार्मर प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड नाम का समूह तैयार कर लिया गया है. इस समूह में कृषकों की संख्या 86 है, जो 52 हेक्टेयर में आलू की खेती कर अलग-अलग जगह निर्यात करेंगे.
क्या है ऑपरेशन ग्रीन
देश में आलू किसानों की मूल समस्या थी कि उन्हें उपज तो अधिक हो रहा है, लेकिन बाजार में पैसे ठीक नहीं मिल रहे. साथ ही किसानों की परेशानी थी कि उचित रखरखान के अभाव में फल-सब्जियां खराब हो रही है. किसानों की इन समस्याओं को देखते हुए, भारत सरकार ने अपने बजट 2018-19 में ऑपरेशन ग्रीन का ऐलान किया था.
ऑपरेशन फ्लड के तर्ज पर हुआ था शुरू
इस मिशन की शुरूवात 1966 में चलाए गए ऑपरेशन फ्लड के तर्ज पर हुआ था. इस ऑपरेशन के तहत किसानों को कोल्ड स्टोरेज और प्रसंस्करण से संबंधित आधारभूत संसाधान प्रदान किए गए और उन्हें उपज की अच्छी कीमत मिली.
पूरे साल मिलेगा एक जैसा दाम
आलू किसानों को पूरे साल ऑप्रशेन ग्रीन के तहत एक जैसा दाम मिलेगा. सब्जियों के भाव मे भारी उतार-चड़ाव का उन्हें खास फर्क नहीं पड़ेगा, क्योंकि इस योजना के तहत तय कीमतों पर सरकार आलू की खरीददारी करेगी.
नालंदा का आलू है विशेष
नालंदा जिले का आलू कई कारणों से विशेष माना जाता है, विशेषज्ञों के मुताबिक इनमें कैरोटीनॉयड्स, फ्लेवनॉयजड्स और फिनोलिक एसिड जैसे तत्व पाए जाते हैं. इसके साथ ही इसमें एंटी-ऑक्सिडेंट्स के गुण भी पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए फायदेमंद है. इन आलुओ में कोलेजन, विटमिन सी और एंटी-ऑक्सिडेंट के गुण सामन्य आलूओं से अधिक है, इसलिए इन्हें स्किन के बहुत ही लाभकारी माना जाता है.
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