देश पहले से ही महंगाई की मार झेल रहा है. आमदनी तो वही है मगर खाद्य सामग्री से लेकर देश में हर वस्तु की कीमतों में इजाफा हो रहा है. अब आम जनता की जेब एक बार फिर से ढीली होने वाली है. आपको बता दें कि हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी (GST) परिषद की 47वीं बैठक हुई, जिसमें कुछ खाद्य पदार्थों पर जिनमें पहले टैक्स में रियायत मिलती थी, अब उनमें भी टैक्स लगाने की घोषणा की गई.
इनमें अनाज व प्री-पैक, प्री-लेबल दही, लस्सी और छाछ जैसे दूध उत्पाद शामिल हैं. अब इन उत्पादों पर मौजूदा शून्य टैक्स के स्थान पर जीएसटी दर लागू होगी. सरकार के इस कदम से डेयरी कंपनियां भी अपने उत्पादों की कीमतों में बढ़ोत्तरी करेगी, जिसका खामियाजा केवल आम जनता को झेलना पड़ेगा.
अभी तक शून्य थी टैक्स दर (till now the tax rate was zero)
आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज (ICICI Securities) की रिसर्च के मुताबिक, दही और लस्सी पर जीएसटी की दर वर्तमान में शून्य से 5% होने की उम्मीद है, जबकि अभी तक इन पदार्थों को टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया था.
भारत में अधिकतर डेयरी कंपनियों के लिए दूध व दही एकमात्र प्रमुख उत्पाद है, तथा उनकी पूरी कमाई में दूध दही का योगदान 15 से 25 फीसदी तक होता है. जिसमें अब टैक्स लगने से कीमतों में भी भारी इजाफा होगा.
जनता को होगा नुकसान
भारत सरकार ने पहले से ही जुलाई माह से सिंगल यूज प्लास्टिक पर बैन लगाया हुआ है, जिससे डेयरी उत्पादों में भी सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग पर प्रतिबंध लग गया, इसका सबसे ज्यादा असर पेय पदार्थों के लिए इस्तेमाल होने वाले स्ट्रॉ पर देखने को मिला.
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अब सरकार के दूध व दही पर जीएसटी लागू करने के इस फैसले से कंपनियों की मुश्किलें और बढ़ गईं हैं. मगर कंपनियां खाद्य सामग्रियों की कीमतों में इजाफा करके अपने हो रहे नुकसान पर काबू पा लेंगी, जिसका सीधा-सीधा नुकसान आम जनता को झेलना पड़ेगा.
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