भरत सिंह ने कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत केन्द्रीय एकीकृत कीट प्रबंधन केंद्र, गंगटोक में पौध संरक्षण तकनीकी अधिकारी के पद पर वर्ष 1992 में कार्यभार ग्रहण किया था.
सिक्किम राज्य में उगाई जाने वाली विभिन्न फसल जैसे सब्जियों, फलों, मसालों-अदरक, बड़ी इलायची और अनाज में कीटों और बीमारियों पर सर्वेक्षण और निगरानी का कार्य किया. उन्होंने मुख्य रूप से पौध संरक्षण के पहलुओं पर 6 साल तक काम किया है. वर्तमान में भरत सिंह केवीके गुरूग्राम के शिकोहपुर स्थित सेंटर पर पौध संरक्षण विशेषज्ञ के पद पर कार्यरत हैं.
भरत सिंह की उपलब्धियां
भरत सिंह आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत कृषि विज्ञान केंद्र, गुरुग्राम में पौध संरक्षण विशेषज्ञ के पद पर जनवरी 1999 से लेकर अब तक इस क्षेत्र में कार्यरत हैं. भरत सिंह 40 सेमिनार/ कार्यशालाओं में भाग ले चुके हैं तो वहीं इनके प्रकाशन में 5 पुस्तकें, किताबें एवं प्रशिक्षण पुस्तकें, ब्रोशर और नियमावली, 12 पैम्फलेट, 100 कृषि से संबंधित लोकप्रिय लेख तथा 8 रिसर्च पत्र और 10 अनुसंधान सार शामिल है.
वर्ष 2020 में उन्हें ग्लोबल एनवायरनमेंट एंड सोशल एसोसिएशन की तरफ से पौध संरक्षण के क्षेत्र में अपने विशेष योगदान के लिए विशिष्ट सेवा पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया है. भरत सिंह जी वर्तमान में गोभी फसलों में प्रमुख कीटों के समन्वित कीट प्रबंधन पर शोध कार्य कर रहे हैं जो कि अंतिम चरण में है.
कृषि कल्याण अभियान के तहत कार्य प्रगति
हरियाणा राज्य के जिला नूंह (मेवात) में एस्पिरेशनल जिलों के तहत कृषि कल्याण अभियान की शुरुआत की. इन अभियान का मुख्य उद्देश्य किसानों की सहायता और सलाह देना है, कि कैसे तकनीकों में सुधार किया जाए और उनकी कृषि आय में वृद्धि की जाए.
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इन अभियान के तहत भरत सिंह ने नोडल अधिकारी के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन किया और मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन, विभिन्न फसलों में पौध संरक्षण उपायों और कृषि के साथ इन व्यवसायों को शामिल करके जैविक खेती को बढ़ावा देने के महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपनी विशेषज्ञता सेवाएं प्रदान की, जिससे किसानों की आय में भी वृद्धि हो सके.
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