
UP Horticulture Mission Scheme: उत्तर प्रदेश सरकार की बागवानी विकास मिशन योजना के तहत अब किसानों को पारंपरिक फसलों से हटकर अमरूद की बागवानी के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है. खास बात यह है कि अमरूद की खेती करने पर किसानों को दो वर्षों तक अनुदान भी दिया जाएगा, जिससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और खेती में नई दिशा मिलेगी. आइए कृषि जागरण के इस आर्टिकल में बागवानी विकास मिशन योजना क्या है और यह किसानों के लिए कैसे फायदेमंद साबित हो रही है.
क्यों फायदेमंद है अमरूद की बागवानी?
खबरों के अनुसार, अमरूद की बागवानी किसी भी जलवायु में सफलतापूर्वक की जा सकती है. इसकी मांग बाजार में सालभर बनी रहती है, जिससे किसानों को फसल बेचने में ज्यादा दिक्कत नहीं होती. इसके साथ ही अमरूद की खेती में लागत कम आती है और मुनाफा अधिक होता है.
बागवानी विकास मिशन योजना के तहत मिल रहा है अनुदान
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को तीन तरह की बागवानी प्रणाली के तहत अनुदान दिया जा रहा है—
- नॉर्मल स्पेसिंग
- हाई डेंसिटी प्लांटेशन
- अल्ट्रा हाई डेंसिटी प्लांटेशन
आइए जानते हैं किस मॉडल में कितनी सब्सिडी दी जा रही है:
नॉर्मल स्पेसिंग:
- प्रति हेक्टेयर 277 पौधे लगाए जाते हैं.
- 2 वर्षों में 50,000 रुपए का अनुदान DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से किसानों को दिया जाएगा.
हाई डेंसिटी प्लांटेशन:
- प्रति हेक्टेयर 2200 पौधे लगाने होते हैं.
- इसके लिए 2 वर्षों में 80,000 रुपए की सब्सिडी दी जाती है.
अल्ट्रा हाई डेंसिटी प्लांटेशन:
- एक हेक्टेयर में करीब 5000 पौधे लगाए जाते हैं.
- इस मॉडल में सरकार 1 लाख 20 हजार रुपए तक की सब्सिडी देती है.
पंजीकरण कैसे और कहां कराएं किसान?
जो किसान इस योजना का लाभ लेना चाहते हैं, उन्हें सबसे पहले अपने संबंधित जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय में पंजीकरण कराना होगा. इसके लिए कुछ जरूरी दस्तावेज साथ ले जाना अनिवार्य है:
- आधार कार्ड
- बैंक पासबुक की कॉपी
- खतौनी (भूमि रिकॉर्ड) की छायाप्रति
- दो पासपोर्ट साइज फोटो
अन्य फलों की खेती पर भी मिलेगा लाभ
उत्तर प्रदेश सरकार न केवल अमरूद, बल्कि ड्रैगन फ्रूट और स्ट्रॉबेरी जैसी हाई वैल्यू फसलों की खेती पर भी किसानों को अनुदान दे रही है. इससे किसानों को नए बाजारों तक पहुंचने का मौका मिलेगा और आमदनी में इजाफा होगा.
किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार का प्रयास
इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को पारंपरिक खेती के स्थान पर बागवानी की ओर आकर्षित करना है. अमरूद की खेती से न केवल किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी, बल्कि बागवानी क्षेत्र का भी विस्तार होगा. सरकार की यह पहल किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है.
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