गेहूं और सरसों के बाद अब मंडी में जौ का जलवा नजर आ रहा है. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद मंडी में कई बदलाव देखे गए हैं. ऐसे में जौ आयात बंद होने के कारण बीयर फैक्ट्रियों में जौ की सप्लाई उतनी नहीं हो पाएगी, जिनती की मांग थी.
जिस वजह से जौ का दाम एमएसपी से भी दोगुना बढ़ गया है. ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि माल्ट की कीमतें भी जल्द बढ़ सकती है. जिसका सीधा असर बियर के दामों पर देखने को मिल सकता है. यह निश्चित अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में बियर के दामों में बढ़त हो सकती है.
आपको बता दें कि जौ का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 1635 रुपए प्रति क्विंटल सरकार द्वारा तय किया गया है, लेकिन मंडियों में यह 3 हजार रुपए प्रति क्विंटल के पार जाता नजर आ रहा है. रेवाड़ी जिले की बात की जाए, तो यहाँ इस बार जौ का रकबा काफी कम है. नकदी फसल गेहूं और सरसों पर किसान ज्यादा जोर देते हैं.
पिछले कई वर्षों से भाव अच्छा नहीं मिलने के कारण अधिकांश किसान जौ की खेती से पीछा छुड़ाते नजर आने लगे हैं. रेवाड़ी जिले में जौ का रकबा धीरे-धीरे सिमटकर 2 हजार हेक्टेयर के आसपास थम गया है.पिछले कुछ वर्षों में जौ की आवक 23.7 हजार क्विंटल दर्ज की गई थी. वहीँ इस बार कहानी कुछ और है, खलियावास माल्ट फैक्ट्री और अनाज मंडी में 1.5 लाख क्विंटल जौ की आवक अब तक हो चुकी है. जौ की बिक्री में देखी जा रही तेजी का सबसे बड़ा कारण इस वक़्त रूस-यूक्रेन युद्ध को माना जा रहा है.
यूक्रेन देश को जौ का बड़ा उत्पादक देश माना जाता है. ऐसे में यूक्रेन-रूस युद्ध होने के कारण जौ के आयात में कमी देखी गयी है और डिमांड तेज़ी से बढ़ता नजर आ रहा है. ऐसे में जौ की कीमतों में और उछाल आने की संभावनाएं देखी जा रही है, जिस वजह से बीयर के दामों में भी बढ़त हो सकती है.
सिमट गया गेहूं का भाव
आज से महज कुछ दिन पहले अनाज मंडी पर गेहूं का जलवा देखा जा रहा था, तो वहीँ अब अनाज मंडी में अब गेहूं खरीदने के लिए सरकार और व्यापारी दोनों तरसते नजर आ रहे हैं. इस बार गेहूं का उत्पादन कम होने के कारण आवक 12 हजार क्विंटल तक सीमित दिखाई दी है. यह भी अनुमान लगाया जा रहा है कि अब गेहूं की आवक बंद होने के कगार पर है.
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इसका मुख्य कारण गेहूं की काला बजारी भी बताई जा रही है. बड़े किसानों ने बड़ी मात्रा में गेहूं को स्टॉक करना शुरू कर दिया है. राजस्थान अनाजमंडी में गेहूं का भाव 2250 रुपए पहुँच गया है. राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में गेहूं 2600 रुपए क्विंटल तक बिक रहा है. सरकार के हिस्से में इस सीजन सिर्फ 37 क्विंटल गेहूं आया है.
सरसों की आवक में देखी जा सकती है तेज़ी
एमएसपी से अधिक भाव होने के कारण मंडियों में ही सरसों की बिक्री हुई थी. सरकारी एजेंसी हैफेड को अपनी तेल मिलों के लिए बाद में सरसों के अभाव और MSP से अधिक मूल्य मिलने की वजह से मार्केट से सरसों की खरीद करनी पड़ी थी. अच्छे दाम मिलने के कारण इस बार सरसों का एरिया करीब 30 फीसदी तक बढ़ गया, जिस वजह से सरसों का उत्पादन इस बार अच्छा हुआ है.
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