भारत के बासमती-चावल के निर्यात बढ़ने की उम्मीद है. मौजूदा हालत को देखते हुए निर्यातको ने इस बात की उम्मीद जताई है. प्रमुख आयतक सऊदी अरब ने माल के वितरण के नियम आसान करने के संकेत दिए है. भारत द्वारा चावल में हानिकारक रसायनों के इस्तेमाल को कम करने संबंधी क़दमों को देखते हुए यूरोपीय संघ से भी बासमती की मांग बढ़ने की उम्मीद है. बासमती के कुल चौबीस हजार करोड़ के वैश्विक बाजार में भारत शीर्ष निर्यातक है.
रियाद ने न्यूनतम अवशेष स्तर (एमआरएल) के चलते निर्यातकों से शिपमेंट्स लेना बंद कर दिया था. इसके अलावा, सऊदी ने सिंगापुर स्थित एक भारतीय कंपनी के चावल के शिपमेंट्स को रद्द कर दिया था. सऊदी खाद्य अवं औषधि प्राधिकरण (एसएफडीए) ने ईयू और अमेरिका के विश्लेष्णात्मक आधारित कड़े मानदण्डों के आधार पर इस माल को खारिज किया था. भारत ने इस मसले को सऊदी अरब के समक्ष कई बार उठाया था. अब उम्मीद की जा रही है की सऊदी इसमें सुधार करने के लिए तैयार है।
कृषि और खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने सऊदी से इस संबंध में कई दौर की वार्ता की थी. अभी हाल ही हुई मीटिंग में इस बात पर सहमति बनी कि सऊदी आयात नियमों में अपेक्षित सुधार करेगा. भारतीय प्रतिनिधिमंडल में वाणिज्य और कृषि विभाग के अधिकारी और अखिल भारतीय चावल निर्यातक एसोसिएशन के प्रतिनिधि शामिल थे.
गौरतलब है कि पिछले साल कई टैरिफ बाधाओं से बासमती निर्यात को नुकसान पहुंचा था. इसी श्रृंखला में यूरोपीय संघ ने चावल की गुणवत्ता के लिए नए मानदंड निर्धारित किये थे. जिसके अंतर्गत बासमती चावल में ट्राइक्लाजोल के अधिकतम स्वीकार्य स्तर को 1.0 मिली ग्राम से घटाकर 0.01 मिली ग्राम प्रति किलो कर दिया था. भारतीय प्राधिकरण तब से किसानों के साथ काम कर रहे थे ताकि बासमती पर कीटनाशकों और अन्य हानिकारक रसायनों के उपयोग को कम किया जा सके. अभी हाल ही में इसकी जाँच के लिए फ्रांस और स्विट्ज़रलैंड के लेखा परीक्षकों की टीम ने पंजाब का दौरा किया था. टीम ने जाँच में बासमती को सभी मानदंडों पर खरा पाया है. इसको देखते हुए उम्मीद की जा रही कि जल्द ही यूरोपीय संघ बासमती का आयात शुरू कर देगा.
रोहताश चौधरी, कृषि जागरण
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