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कृषि छात्रों को नौकरी के लिए नहीं भटकना होगा..!

एग्रीकल्चर कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद रोजगार के लिए छात्रों को भटकना नहीं पड़ेगा। पढ़ाई पूरी होने के बाद छात्रों के फार्म हाउस को कृषि परामर्श केंद्र की मान्यता दी जाएगी। दरअसल छात्र अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कृषि कार्य में रुझान नहीं लेता है और किसी दूसरे फील्ड में रोजगार के लिए भटकता रहता है। अब इस प्रकार की समस्या नहीं होगी। पढ़ाई के दौरान छात्रों को प्रैक्टिकल वर्क पर ज्यादा फोकस किया जाएगा।

एग्रीकल्चर कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद रोजगार के लिए छात्रों को भटकना नहीं पड़ेगा। पढ़ाई पूरी होने के बाद छात्रों के फार्म हाउस को कृषि परामर्श केंद्र की मान्यता दी जाएगी। दरअसल छात्र अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद कृषि कार्य में रुझान नहीं लेता है और किसी दूसरे फील्ड में रोजगार के लिए भटकता रहता है। अब इस प्रकार की समस्या नहीं होगी। पढ़ाई के दौरान छात्रों को प्रैक्टिकल वर्क पर ज्यादा फोकस किया जाएगा। 

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने इस पहल की शुरुआत की है। विश्वविद्यालय से संबंधित प्रदेश भर के सभी कॉलेजों में इसकी शुरुआत की जाएगी। पढ़ाई पूरी होने के बाद शासन की योजनाओं के तहत खेती करने के लिए सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी और उसे कृषि परामर्श केंद्र की मान्यता दी जाएगी। सभी कृषि परामर्श केंद्रों में इंटरनेट की सुविधा दी जाएगी। सभी केंद्रों को आपस में कनेक्ट किया जाएगा। 

एग्रीकल्चर कॉलेज में 80 प्रतिशत छात्रों के पालक कृषि कार्यों से जुडे है और उनके पास खेत भी उपलब्ध है। जिन छात्रों के पास खेत नहीं है, एेसे छात्रों का एक समूह बनाकर उन छात्रों के साथ शामिल किया जाएगा जिनके पास खेत है। छात्रों को उनके निवास स्थान के आसपास स्थित कॉलेजों में प्रवेश दिया जाएगा। यदि किसी छात्र का खेत राजनांदगांव में है, तो उसे दूसरे जिले के कॉलेज में प्रवेश नहीं मिलेगा। इस प्रैक्टिकल में लगने वाला इक्युपमेंट और खर्च कॉलेज प्रबंधन देगा। 

छात्रों को अब तीन साल तक खेतों में जाकर प्रैक्टिकल करेंगे। छात्र तीसरे सेमेस्टर से सप्ताह में दो दिन अपने ही खेतों में जाकर प्रैक्टिकल करेंगे। ताकि वे फसल उत्पादन व कृषि कार्यों के बेहतर तरीके से समझ सके। अब तक छात्रों को सिर्फ एक सेमेस्टर में ही प्रैक्टिकल कराया जाता था। इससे पढ़ाई पूरी होने के बाद कृषि कार्य में छात्रों की रूचि भी नहीं रहती है और वे किसी दूसरे काम की तलाश में लग जाते है। इस समस्या को देखते हुए अधिकारियों ने गंभीरता के साथ विचार किया और यह उपाय निकाला। 

सभी कृषि परामर्श केंद्र इंटरनेट से कनेक्ट रहेंगे इससे फसल उत्पादन की नई तकनीक और फसलों की जानकारियों का भी अादान-प्रदान कर सकेंगे। किसी क्षेत्र में यदि कोई सब्जी, फल व फसल अधिक उत्पादन हो रहा है, तो उसके लिए बेहतर बाजार भी उपलब्ध कराएंगे। उत्पादन में कोई समस्या आने पर विवि में रिसर्च कर इसका समाधान भी निकाला जाएगा। इससे छात्र कृषि कार्य से जुड़कर अपनी आय बढ़ा सकता है। इतना ही नहीं इन छात्रों द्वारा उत्पादन की गई फसल व सब्जियों को सरकार ही खरीदेगी। 

जानिए, इस प्रकार छात्र करेंगे प्रैक्टिकल 

1- पहले साल छात्र कॉलेज में रहकर पढ़ाई करेंगे और कृषि तकनीक की जानकारी लेंगे। 

2- दूसरे साल से छात्र सप्ताह में दो दिन प्रैक्टिकल के लिए घर जाएंगे। 

3- सप्ताह के चार दिन प्रैक्टिकल कल में आने वाली समस्या को दूर करने के लिए शोध करेंगे। 

4- तीसरे साल छात्र सप्ताह में तीन दिन प्रैक्टिकल करेंगे। 

5- चौथे साल पढ़ाई पूरी होने पर छात्र के फार्म हाउस को कृषि परामर्श केंद्र की मान्यता मिलेगी। 

English Summary: Agricultural students will not wander for a job ..! Published on: 23 October 2017, 05:16 AM IST

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