प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक और देश की 'हरित क्रांति' के जनक, एमएस स्वामीनाथन के नाम से मशहूर मनकोम्बु संबाशिवन स्वामीनाथन ने 98 वर्ष की उम्र में 28 सितंबर, 2023 को सुबह 11:20 बजे चेन्नई में अपने आवास पर निधन हो गया. उनकी तीन बेटियां सौम्या स्वामीनाथन, मधुरा स्वामीनाथन और नित्या राव हैं. उनकी पत्नी मीना स्वामीनाथन की मृत्यु पहले ही हो गई थी.
महात्मा गांधी और अपने पिता से प्रेरित थे स्वामीनाथन
7 अगस्त, 1925 को कुंभकोणम में एम के संबासिवन और पार्वती थंगम्मल संबासिवन ने अपनी स्कूली शिक्षा कुंभकोणम में ही प्राप्त की थी. यह अपने पिता और महात्मा गांधी से प्रभावित थे. कृषि जगत में अपनी अहम भूमिका का प्रदर्शन करने की प्रेरणा भी इन्हें इनके पिता से प्राप्त हुई. लेकिन इससे पहले वह पुलिस विभाग में नौकरी के लिए भी प्रयासरत थे, इन्होने स्नातक की उपाधि कृषि महाविद्यालय, कोयंबटूर (अब, तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) प्राप्त की थी.
हरित क्रांति की प्रमुख फसलों पर किया काम
डॉ. स्वामीनाथन ने 'हरित क्रांति' की सफलता के लिए दो केंद्रीय कृषि मंत्रियों, सी. सुब्रमण्यम (1964-67) और जगजीवन राम (1967-70 और 1974-77) के साथ मिलकर काम किया था. जिसके चलते उन्होंने देश में कई कृषि उपलब्धियों को कर्यान्वित करने की दिशा में काम किया. स्वामीनाथन शुरू से ही कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रयासरत रहे. लेकिन इसको नई दिशा और ऊर्जा नॉर्मन बोरलाग की गेहूं की नई उन्नत किस्म की खोज के बाद मिली.
इन्होने रासायनिक-जैविक प्रौद्योगिकी के ज्यादा उत्पादन के माध्यम से गेहूं और चावल की उत्पादकता में वृद्धि की दिशा में भी प्रयास किया. इनके इस प्रयास में प्रसिद्ध अमेरिकी कृषि वैज्ञानिक और 1970 के नोबेल पुरस्कार विजेता नॉर्मन बोरलाग की गेहूं पर खोज ने इस संबंध में एक बड़ी भूमिका निभाई थी.
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