पर्यटक अब सीधे कुल्लू मनाली जाने के बजाए बिलासपुर जिला में रूककर भी सप्ताहांत की छुट्टियों का लुत्फ उठा सकेंगे। इस बाबत जिला प्रशासन ने नई योजना पर काम शुरू कर दिया है। एग्री इको टूरिज्म विकास को लेकर संभावनाओं की तलाश भी शुरू कर दी गई है। बिलासपुर के जिलाधीश विवेक भाटिया ने बताया कि प्रसिद्ध पहाड़ी क्षेत्रों का रुख करते हुए पर्यटकों को प्रदेश के मुख्य द्वार बिलासपुर में छुट्टियों को मनाने के लिए आकर्षित करने के दृष्टिगत एग्री ईको टूरिज्म की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।
उन्होंने बताया कि इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि देश विदेश के पर्यटक शिमला, कुल्लू व मनाली इत्यादि विख्यात पर्यटन स्थलों को वहां की जलवायु और वातावरण के कारण प्राथमिकता देते हैं, लेकिन अगर जिला बिलासपुर में एग्री ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए कुछ विशेष प्रयास किए जाएं तो प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों की ओर आते जाते पर्यटकों को बिलासपुर में कुछ दिन गुजारने की जिज्ञासा और इच्छा को बढ़ाकर यादगार ट्रिप के रूप में अंकित किया जा सकता है।
इसके लिए संभावनाओं को तलाशा जा रहा है। उपायुक्त के अनुसार कृषि बागबानी और पारंपरिक सांस्कृतिक परंपराओं के बिना हिमाचल प्रदेश की कल्पना नही किया जा सकती। महानगरों की भीड़ और शोर शराबे से उकताया पर्यटक सुकून के कुछ लम्हें प्रकृति की गोद में गुजरने की लालसा में पहाड़ो का रुख करता है जिसकी भरपाई करने के लिए बिलासपुर जिला में पर्याप्त अवसर अथवा स्थल मौजूद हैं, जिन्हें चिन्हित व विकसित करके देशी विदेशी पर्यटकों को बिलासपुर में ठहराव के लिए आमंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि पर्यटक अपनी छुट्टियों को यादगार बनाने के लिए प्रत्येक पल को आनंदमय व खुशगवार बनाना चाहता है।
प्रेरित किए जा रहे किसान
जिलाधीश ने बताया कि 30 बीघे पर कृषि फार्म के साथ अफ्रिकन बकरियों, गाय व फलों के बगीचे तथा पर्यटकों के ठहराव के लिए उचित भवन के मालिक पनौल गांव के हरवंश और संरक्षित खेती व फलों के बगीचे तथा अच्छे ठहराव के लिए पर्याप्त आवास सुविधा उपलब्ध करवाने वाले निहारी गांव के जाहड़ी के किसान बलदेव, करतार व शंकर के अतिरिक्त जैविक खाद से कृषि को बढ़ावा देने वाले गांव भदरोग के किसान बलवीर व उनके सहयोगी किसानों को एग्री ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
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