भारतीय अर्थशास्त्री प्रोफेसर अभिजीत सेन का कल रात सोमवार को दिल्ली में निधन हो गया, उनकी उम्र 72 वर्ष की थी. पिछले कुछ समय से वे बीमार चल रहे थे. प्रोफेसर अभिजीत सेन ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ होने के साथ-साथ 2004 से 2014 के बीच योजना आयोग (planning commission) के सदस्य भी रह चके थे, जिसका नाम बदलकर अब नीति आयोग कर दिया गया है.
उन्होंने अपने पिछले 40 साल के अकादमिक करियर में जेएनयू के साथ-साथ ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज जैसे कई बढ़े विश्वविद्यालयों में अर्थशास्त्र पढ़ाया है. 1985 में वे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर इकोनॉमिक स्टडीज एंड प्लानिंग में प्रोफेसर के तौर पर शामिल हुए थे.
नीतियां बनाने में भी था बढ़ा योगदान
शिक्षा और शोध के क्षेत्र के अलावा आजादी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में हुए बढ़े बदलावों में प्रोफेसर अभिजीत सेन का बहुत बढ़ा योगदान रहा है. जैसे 1997 में संयुक्त मोर्चा सरकार(United Front government) ने उन्हें कृषि लागत और मूल्य आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया.
जब तीन साल बाद उनका कार्यकाल समाप्त हुआ, तो उन्हें एनडीए सरकार (National democratic alliance) द्वारा दीर्घकालिक अनाज नीति पर विशेषज्ञों की उच्च-स्तरीय समिति का नेतृत्व करने के लिए कहा गया.
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आपको बता दें कि भारत में पीडीएस (public distribution system) सिस्टम की शुरुआत प्रोफेसर सेन की अध्यक्षता वाली समिति की सलाह के बाद ही की गई थी. आसान भाषा में कहें, तो आम लोगों को कम दामों पर चावल और गेहूं उपलब्ध कराने में इनका वहुत बड़ा योगदान है.
प्रोफेसर अभिजीत सेन का यहां पर हुआ था जन्म
प्रोफेसर अभिजीत सेन का जन्म उस समय के बिहार और आज के झारखंड के जमशेदपुर में 18 नवंबर 1950 को हुआ था. उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से भौतिकशास्त्र में (physics) अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की थी. इसके बाद अर्थशास्त्र में स्विच करते हुए, सेन ने सूजी पाइन(Suzy Paine) की देखरेख में अपनी थीसिस, “The agrarian constraint to economic development: The case of India “ के लिए कैम्ब्रिज से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की और भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर काम करने में लग गए. बता दें कि उन्हें सार्वजनिक सेवा के लिए पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था.
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