भारतीय युवाओं में लगभग 20 करोड़ गांवों में रहते हैं। अगर इनकी सक्रिय और पेशेवर भागीदारी कृषि और संबद्ध क्षेत्र में हो जाए तो देश की खेती में चमत्कार हो सकता है। लेकिन गांवों में रहने वाले मुश्किल से 5 फीसदी युवा खेती से जुड़े हुए हैं। देश में खेती के विकास में ग्रामीण युवाओं के महत्व को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने कृषि क्षेत्र में ग्रामीण युवाओं को आकर्षित करने के लिए नई दिल्ली में 30-31 अगस्त को एक सेमिनार का आयोजन किया।
इस सेमिनार में आईसीएआर के महानिदेशक ने युवाओं के लिए कृषि क्षेत्र में एक मिशन चलाने का आग्रह किया। उन्होंने पड़ोसी देशों के युवाओं को कृषि में आकर्षित करने के लिए क्षेत्रीय मंच शुरू करने की भी बात की।
इस सेमिनार में कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के सचिव और आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन मोहापात्रा ने देश की तेजी से बढ़ती जनसंख्या को स्थायी रोजगार मुहैया कराने के लिए युवाओं को खेती के तरीफ आकर्षित करने पर जोर दिया।
कृषि विज्ञान के विकास के लिए बने ट्रस्ट (टीएएएस) के चेयरमैन, आर एस परोदा ने जोर देकर कहा, "युवाओं को इस तरह से प्रशिक्षण दिया जाए कि वह नौकरी खोजने की जगह दूसरों को रोजगार देने वाले बनें।" परोदा ने कहा, "किसानों के लिए मल्टी स्पेशिएलिटी अस्पतालों की तरह व्यवस्था होनी चाहिए जहां एक ही जगह उनकी सभी समस्याओं का समाधान हो सके।"
भारत में हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले डॉ. एम.एस. स्वामिनाथन ने सेमिनार को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा, "भारत के युवाओं में ऐसी संभावना है कि वे देश की कृषि में क्रांति ला सकते हैं।"
एशिया-प्रशांत कृषि अनुसंधान संस्थानों के संघ (एपीएएआरआई) के कार्यकारी सचिव डॉ. रवि खेत्रपाल ने कहा, "युवा चमक-दमक वाले रोजगार चाहते हैं। अगर हम खेती में ऐसे रोजगार के अवसर पैदा करें तो क्रांति आ सकती है।"
इससे पहले आईसीएआर के डीडीजी (प्रसार) डॉ. एके सिंह ने कहा, "गांव के युवा शहरी इलाकों की तरफ भाग रहे हैं। इससे शहरों के संसाधनों पर बोझ बढ़ रहा है।
इसलिए जरूरत है कि ग्रामीण इलाकों में खेती के क्षेत्र में ही रोजगार के नए अवसर पैदा किए जाएं।" भारत में इस समय युवाओं की सबसे बड़ी आबादी रहती है। 2014 की संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 10 से 24 वर्ष की आयु के 35.6 करोड़ युवा हैं। यह संख्या चीन से भी ज्यादा है जहां 26.9 करोड़ युवा नागरिक हैं।
नई दिल्ली में आयोजित इस सेमिनार में 200 से ज्यादा लोग शामिल हुए। इनमें स्वयंसेवी संगठनों, क्षेत्रीय संस्थाओं, निजी और सरकारी सेक्टर के प्रतिनिधियों समेत अफगानिस्तान, भूटान, भारत, नेपाल और श्रीलंका से आए प्रतिभागियों ने भी हिस्सा लिया।
चंद्र मोहन, कृषि जागरण
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