आज के समय में विज्ञान (Science) बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. विज्ञान ने खाद्य और कृषि संबंधी क्षेत्र, सुरक्षा संबंधी क्षेत्र, व्यक्तियों की सुख-सुविधा संबंधी आदि सभी क्षेत्रों में मानव जीवन को अधिक प्रभावकारी, तीव्र और आनन्दमय बना दिया है.
वहीँ संस्कृति (Culture) की बात करें, तो संस्कृति भी मानव जीवन में शिक्षा और नैतिक विकास में अच्छी भूमिका निभा रही है, इसलिए विज्ञान और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एवं लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए बनारस के काशी हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) ने एक ख़ास तरह के कार्यक्रम को आयोजित करने की घोषणा की है. जो आने वाले समय में भारत की संस्कृति और विज्ञान के महत्व को बनाये रखेगी.
जी हाँ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान-काशी हिंदू विश्वविद्यालय (IIT-BHU) ने 22 फरवरी 2022 से 28 फरवरी 2022 तक यानी कि 7 दिन तक का मेला के कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा. इस खास तरह के कार्यक्रम को 'विज्ञान सर्वत्र पूज्यते' (Science Is Worshiped Everywhere) के नाम से आयोजित किया जायेगा. यह विज्ञान क्षेत्र का सबसे बड़ा मेला होगा.
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बता दें कि आजादी के अमृत महोत्सव श्रृंखला में IIT-BHU स्थित एबीएलटी परिसर में राष्ट्रीय विज्ञान सप्ताह के दौरान यह आयोजन होगा. इसकी जिम्मेदारी विज्ञान और संस्कृति मंत्रालय के मुख्य सलाहकार कार्यालय के साथ भारत सरकार के 18 अन्य मंत्रालयों को दी गई है. इस तरह का कार्यक्रम देश के 75 केंद्रों पर होंगे, जिसका केंद्र IIT-BHU को बनाया गया है. इस कार्यक्रम में स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों, शिक्षकों, विश्वविद्यालयों, शिक्षाविदों और आम जनता के लिए पूरी तरह से खुला रहेगा.
अलग – अलग विषय पर कार्यक्रम का आयोजन होगा (Programs Will Be Organized On Different Topics)
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र अधिष्ठाता प्रोफेसर के द्वारा मिली जानकारी के अनुसार, इस 7 दिन के मेले में भारत की वैज्ञानिक विरासत और प्रौद्योगिकी उत्कृष्टता को प्रदर्शित किया जाएगा. साथ ही उत्सव के 7 दिनों तक हर दिन एक अलग-अलग विषय पर कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा.
इसके अलावा इस कार्यक्रम में विज्ञान के इतिहास, हमारी आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उपलब्धियां, आविष्कार और नवाचार से जुड़ें विषयों पर चर्चा होगी. इसके साथ एक दिन विज्ञान साहित्य उत्सव के रूप में मनाया जाएगा और अंत में यह पता करेंगे कि अगले 25 साल में हम अपने आप को कहां पर देखते हैं.
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