किसानों की भलाई को लेकर सरकार तरह-तरह के दावें कर रही है, लेकिन धरातल की सच्चाई भयानक है. लाखों-करोड़ों रूपयों के योजनाओं एवं सरकारी मदद के बाद भी किसानों के आत्महत्या का ग्राफ गिरने का नाम नहीं ले रहा है. सबसे ज्यादा हालात तेलंगाना में खराब है, जहां पिछले एक साल में ही 243 किसानों ने आत्महत्या कर ली है. राज्य सरकार की माने तो किसानों की आत्महत्या की वजह कर्ज और फसल तबाही के साथ-साथ सामाजिक अस्थरिता भी है.
वहीं दूसरी तरफ आंकड़ों के आने के बाद अपनी नाकामी छुपाने के लिए सरकार ने किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. मृत किसान के परिवार को सरकार ने 6 लाख रूपये देने का फैसला किया है. इस बारे में राज्य सरकार ने बताया है कि उन्होंने 14.58 करोड़ रुपये का फंड जारी कर दिया है.
दर्दनाक है किसानों के मौत के आंकड़े?
सरकार की लाख कोशिशों के बावजूद भी 2014-15 में कर्ज और फसल तबाही की वजह से 24 हजार से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है. बता दें कि ये आंकड़े मात्र 2014-15 के हैं और उसके बाद के आंकड़े सरकार के पास नहीं है. विशेषज्ञों की माने तो 2016 से अब तक की गिनती की जाए तो यह आंकडें कुछ 70 हज़ार से अधिक तक पहुंच सकते हैं.
सबसे ज्यादा इन राज्यों में कर रहे हैं किसान आत्महत्याः
वैसे तो किसानों के आत्महत्या की खबरें हर राज्य से आ रही है, लेकिन सबसे ज्यादा महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना के हालात दयनीय है. मध्य प्रदेश में जहां 1290 किसानों ने आत्महत्या किया है, वहीं छत्तीसगढ़ में 954 किसानों ने कर्ज से तंग आकर अपनी जीवन लिला समाप्त कर ली है.
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