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पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर मत्स्य पालन के लिए जारी हुई 22 करोड़ रूपये की सब्सिडी

जैसा की हम सभी बचपन से सुनते चले आये है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है. हमारे देश की सवा सौ करोड़ जनसंख्या का लगभग 70 प्रतिशत से अधिक की आबादी अप्रत्यक्ष अथवा प्रत्यक्ष रूप से कृषि से जुड़ी हुई है.

प्रभाकर मिश्र

जैसा की हम सभी बचपन से सुनते चले आये है कि भारत एक कृषि प्रधान देश है. हमारे देश की सवा सौ करोड़ जनसंख्या का लगभग 70 प्रतिशत से अधिक की आबादी अप्रत्यक्ष अथवा प्रत्यक्ष रूप से कृषि से जुड़ी हुई है. यही कारण है की देश में जितनी भी सरकारे आयी सभी ने किसानों को अपना मुद्दा बनाया. इतना ही नहीं बहुत सी राजनीतिक पार्टियों का जन्म ही किसानों के मुद्दों से हुआ है.. किसानों की सेवा के लिए सरकारों ढेरों योजनाओं जैसे सब्सिडी योजना,मुफ्त बीज,सिंचाई के बेहतर यंत्र,पशुपालन और मछली पालन आदि.

छत्तीसगढ़ में केंद्र व राज्य सरकार की इन्हीं योजनाओं के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.
आपको बता दें कि पिछली साल के अनुभवों को देखते हुए इस बार छत्तीसगढ़ की सरकार ने मछली पालन विभाग की आवेदन प्रक्रिया में नई शर्त जोड़ दी है. इस नई शर्त को सरकार ने "पहले आओ, पहले पाओ'नाम दिया है. इस बार किसान नए तालाब के निर्माण का कार्य केवल 2 हेक्टेयर की ही भूमि पर कर सकता है.यदि किसान और भूमि का उपयोग करना चाहता है तो उसे नये तालाब खुदवाने की अनुमति लेनी पड़ेगी.

आपके बता दें सरकार ने तालाब निर्माण के लिए प्रति हेक्टेयर लागत सात लाख रुपए निर्धारित की है. जिसमे सामान्य वर्ग के लोगों को 40 प्रतिशत और आरक्षित वर्ग को 60 प्रतिशत सब्सिडी दी जा रही है. वहीं मत्स्य बीज संवर्धन पोंड निर्माण के लिए  6,00,000 रुपए और रिटेल आउट-लेट की स्थापना के लिए  10,00,000 ऑटो सह आईस बॉक्स के लिए 2,00,000  केज स्थापना के लिए 3,00,000 और सहायता सब्सिडी के रूप में 1,00,000 रूपये  दिये जायेंगे. इस योजना के लिए 22 करोड़  जारी किया है साथ ही 17 मार्च को  केंद्र सरकार  ने  मछली पालन की योजनाओं  और 2020-21  और 2021-22 बजट पर चर्चा  के लिए राज्य के अधिकारियों को बुलाया है.

English Summary: 22 crore subsidy released for fisheries on first come, first serve basis Published on: 11 March 2020, 05:36 PM IST

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