भारत विश्व में सबसे बड़ा खाद्य उत्पादक और फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इसके बावजूद यहां केवल 2.2 प्रतिशत फलों और सब्जियों का प्रसंस्करण ही किया जाता है। भारत में प्रत्येक खाद्य उत्पादन केंद्र पर सस्ते शीत भंडार और शीत श्रृंखलाओं की आवश्यकता है। मौजूदा शीत भंडार सुविधा कुछ राज्यों में ही केंद्रित है और मौटे तौर पर 80 से 90% शीत भंडारों का आलू के भंडारण के लिए उपयोग किया जाता है। भारत को इस बारे में लंबा रास्ता तय करना है। खाद्य प्रसंसकरण मंत्रालय देश में राष्ट्रीय कोल्ड चेन ग्रिड का निर्माण कर रहा है ताकि सभी खाद्य उत्पादक केन्द्रों को शीत भंडारण और प्रसंस्करण उद्योग से जोड़ा जा सके।
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय नई कोल्ड चेन अवसंरचना को स्थापित करने में जुटा हुआ है, जिसमें शीत भंडारण और प्रसंस्करण दोनों ही सुविधाएं शामिल हैं। मंत्रालय ने मई, 2015 में 30 कोल्ड चेन परियोजनाओं को मंजूरी दी थी। आज मंत्रालय ने पूरे देश में फैली 101 नई एकीकृत कोल्ड चेन परियोजनाओं को मंजूरी दी है। ये परियोजनाएं फलों और सब्जियां, डेयरी, मछली, मांस, समुद्री उत्पाद, मुर्गी उत्पाद, खाने के लिए तैयार/पकाने के लिए तैयार खाद्य पदार्थों के लिए हैं।
मंत्रालय रणनीतिक योजना द्वारा कोल्ड चेन अवसंरचना की स्थापना पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, जिससे पूरे देश में कोल्ड चेन ग्रिड बनेगा। इससे माननीय प्रधान मंत्री के किसानों की आय को दोगुना करने के मिशन को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। इससे कृषि आपूर्ति श्रृंखला में बर्बादी कम हो जाएगी और बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर जुटाने में भी मदद मिलेगी।
कोल्ड चेन और मूल्य संवर्धन अवसंरचना योजना में उद्यमियों को 10 करोड़ तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती है। इन नई एकीकृत कोल्ड चेन परियोजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए आधुनिक बुनियादी ढांचा सृजन के लिए 3100 करोड़ रुपये के कुल निवेश की जरूरत पड़ेगी। इन परियोजनाओं के लिए कुल अनुमानित ग्रांड-इन-एड 838 करोड़ रूपये होगी।
इन 101 नई कोल्ड चेन परियोजना से 2.76 लाख मीट्रिक टन कोल्ड स्टोरेज / नियंत्रित वायुमंडल / फ्रोजन भंडारों की अतिरिक्त क्षमता, 115 मीट्रिक टन प्रति घंटे की व्यक्तिगत त्वरित फ्रीजिंग (आईक्यूएफ) क्षमता, 56 लाख लीटर प्रति दिन दूध प्रोसेसिंग की क्षमता, 210 मीट्रिक टन प्रति बैच ब्लास्ट फ्रीजिंग और 629 रेफ्रिजेरेटेड/ इंसुलेटेड वाहनों की क्षमता उपलब्ध होगी।
इन एकीकृत कोल्ड चेन परियोजनाओं से संबंधित राज्यों में न केवल खाद्य प्रसंस्करण अवसंरचना के विकास को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि किसानों को भी उनके उत्पाद की बेहतर कीमत उपलब्ध होगी जो किसानों की आय को दुगुना करने की दिशा में एक कदम होगा। बुनियादी ढांचे से जल्दी खराब होने वाले उत्पादों की बर्वादी घटाने में मदद मिलेगी इसके अलावा कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्द्धन में सहायता मिलने के अलावा विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के बड़े अवसर पैदा होंगे।
उपरोक्त कोल्ड चेन अवसंरचना और अन्य आवश्यक बुनियादी ढांचे का निर्माण करने और देश में आवश्यक खाद्य प्रसंस्करण अवसंरचना बुनियादी ढांचे का और विस्तार करने तथा मजबूती प्रदान करने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना होगा। इससे उत्पादकों से प्रसंस्करणकर्ताओं, खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों से छोटी, सुसंगत और संपीड़ित आपूर्ति श्रृंखला बनाने में मदद मिलेगी और इससे फल और सब्जी तथा दुग्ध प्रसंस्करण तथा गैर-बागवानी खाद्य उत्पादों के प्रसंस्करण को बढ़ावा मिलेगा।
101 नई एकीकृत कोल्ड चेन परियोजनाओं को मंजूरी
भारत विश्व में सबसे बड़ा खाद्य उत्पादक और फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इसके बावजूद यहां केवल 2.2 प्रतिशत फलों और सब्जियों का प्रसंस्करण ही किया जाता है। भारत में प्रत्येक खाद्य उत्पादन केंद्र पर सस्ते शीत भंडार और शीत श्रृंखलाओं की आवश्यकता है। मौजूदा शीत भंडार सुविधा कुछ राज्यों में ही केंद्रित है और मौटे तौर पर 80 से 90% शीत भंडारों का आलू के भंडारण के लिए उपयोग किया जाता है
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