आज केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में 100 दिनों में कृषि मंत्रालय द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों और उपलब्धियों के संबंध में प्रेसवार्ता की. इस अवसर पर कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक समेत मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे.
कृषि: भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़
इस दौरान शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और 140 करोड़ लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करना सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, कृषि और किसान कल्याण के क्षेत्र में कई बड़े कदम उठाए गए हैं. कृषि विभाग ने छह सूत्रीय रणनीति के तहत कार्य किया है, जिसमें उत्पादन बढ़ाना, लागत घटाना, डिजिटल कृषि मिशन, और परंपरागत फसलों के साथ बागवानी फसलों का उत्पादन शामिल है.
प्रमुख फैसले और उपलब्धियां:
- उत्पादन बढ़ाना: उत्पादन बढ़ाने के लिए 65 फसलों की 109 नई प्रजातियों के बीज किसानों को समर्पित किए गए. ये बीज जलवायु अनुकूल, कीट प्रतिरोधी और अधिक उपज वाले हैं.
- उत्पादन की लागत घटाना: किसानों को सस्ता फर्टिलाइजर उपलब्ध कराना प्राथमिकता है. उदाहरण के तौर पर, यूरिया की एक बोरी 2366 रुपये की लागत वाली होती है, जिसे किसानों को 266 रुपये में दिया जाता है. डीएपी की एक बोरी 2433 रुपये की आती है, लेकिन इसे किसानों को 1350 रुपये में उपलब्ध कराया जाता है.
- डिजिटल कृषि मिशन: हाल ही में डिजिटल कृषि मिशन का शुभारंभ किया गया है. इसके तहत नेशनल पेस्ट सर्विलांस सिस्टम किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जिससे किसान कीट और बीमारियों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
- फसल विविधता और बागवानी: पारंपरिक फसलों के साथ-साथ बागवानी (हॉर्टिकल्चर) की फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 9 आधुनिक केंद्र बनाए जा रहे हैं. अक्टूबर में 'लैब टू लैंड' कार्यक्रम शुरू किया जाएगा, जिसमें वैज्ञानिक सीधे किसानों तक जानकारी पहुंचाएंगे.
- पीएम-किसान योजना: प्रधानमंत्री ने 100 दिनों के भीतर 9.26 करोड़ किसानों को पीएम-किसान योजना के तहत 21,000 करोड़ रुपये की राशि जारी की. इसके अतिरिक्त, 25 लाख से अधिक नए किसानों को इस योजना से जोड़ा गया, जिससे लाभार्थियों की संख्या 9.51 करोड़ से अधिक हो गई.
- किसान ईमित्र चैटबॉट: पीएम-किसान योजना से जुड़े प्रश्नों के समाधान के लिए किसान ईमित्र चैटबॉट का सफलतापूर्वक उपयोग किया जा रहा है, जिसने अब तक 50 लाख किसानों के 82 लाख से अधिक प्रश्न हल किए हैं. इसे अन्य योजनाओं, जैसे किसान क्रेडिट कार्ड और पीएम फसल बीमा योजना के लिए भी विस्तारित किया जा रहा है.
आयात-निर्यात: हाल ही में लिए गए कृषि व्यापार नीति निर्णय
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प्याज निर्यात नीति: प्याज पर 550 डॉलर प्रति मीट्रिक टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य और 40% निर्यात शुल्क लागू था, जिससे निर्यात कम हो गया था और किसानों को घरेलू बाजार में लाभकारी कीमतें नहीं मिल रही थीं. हाल ही में न्यूनतम निर्यात मूल्य हटाकर और निर्यात शुल्क घटाकर 20% किया गया है, जिससे किसानों को उच्च कीमतों का लाभ मिलेगा.
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बासमती चावल निर्यात नीति: बासमती चावल पर निर्यात प्रतिबंध के कारण 800-950 डॉलर प्रति मीट्रिक टन की किस्मों का निर्यात ठप था. अब 950 डॉलर प्रति मीट्रिक टन न्यूनतम निर्यात मूल्य हटाने का निर्णय लिया गया है, जिससे चावल किसानों को विदेशी बाजार में बेहतर कीमतें मिलेंगी.
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खाद्य तेल (पाम, सोया, सूरजमुखी): खाद्य तेल की कम अंतरराष्ट्रीय कीमतों और शून्य बेसिक कस्टम ड्यूटी के कारण घरेलू बाजार में कीमतें गिर रही थीं. हाल ही में कच्चे तेल पर आयात शुल्क 5.5% से बढ़ाकर 27.5% और रिफाइंड तेल पर 13.75% से बढ़ाकर 35.75% किया गया है, जिससे घरेलू खाद्य तेलों की कीमतें स्थिर रहेंगी और किसानों को उचित लाभ मिलेगा.
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA)
प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (PM-AASHA) की एकीकृत योजना को 15वें वित्त आयोग चक्र के दौरान 2025-26 तक ₹ 35,000 करोड़ के कुल बजट के साथ जारी रखने को मंजूरी दी गई है. इसका उद्देश्य किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करना और उपभोक्ताओं के लिए आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करना है.
सरकार ने मूल्य समर्थन योजना (PSS) और मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF) योजना को पीएम-AASHA के तहत एकीकृत किया है. इसके तहत MSP संचालन को डीए एवं एफडब्ल्यू द्वारा और गैर-MSP संचालन को डीओसीए द्वारा लागू किया जाएगा. इसके अलावा, NAFED के ई-समृद्धि पोर्टल और NCCF के ई-संयुक्ति पोर्टल पर पंजीकृत किसानों से खरीद की जाएगी. इससे किसानों को अधिक फसल उत्पादन के लिए प्रोत्साहन मिलेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी.
पीएम-AASHA के प्रमुख घटक:
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मूल्य समर्थन योजना (PSS)
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मूल्य न्यूनता भुगतान योजना (PDPS)
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मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF)
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बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS)
सरकार ने अधिसूचित दलहन, तिलहन और नारियल की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद 2024-25 सीजन से राष्ट्रीय उत्पादन के 25% पर आधारित होगी. इससे राज्यों को किसानों से MSP पर इन फसलों की अधिक खरीद करने में सहायता मिलेगी.
पीएम-AASHA की अन्य मुख्य बातें:
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किसानों को तूर, उड़द और मसूर की अधिक उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए 2024-25 वर्ष के लिए इन दालों की खरीद की सीमा 25% हटा दी गई है.
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महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक में 28.36 लाख मीट्रिक टन सोयाबीन, 1.33 लाख मीट्रिक टन उड़द, और 43,500 मीट्रिक टन मूंग की खरीद की स्वीकृति दी गई है.
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अधिसूचित तिलहन की कवरेज को राज्य के उत्पादन के मौजूदा 25% से बढ़ाकर 40% किया गया है.
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मार्केट इंटरवेंशन स्कीम (MIS) के अंतर्गत अब किसानों को भौतिक खरीद के बजाय सीधे भावान्तर भुगतान का विकल्प भी मिलेगा.
डिजिटल कृषि मिशन
डिजिटल कृषि मिशन को 2 सितंबर 2024 को 2817 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ मंजूरी दी गई है. इसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है. इस मिशन के अंतर्गत किसानों को आधार जैसी डिजिटल पहचान (किसान आईडी) दी जाएगी और उनकी फसलों को डिजिटल फसल सर्वेक्षण के माध्यम से दर्ज किया जाएगा.
2026-27 तक 11 करोड़ किसानों की डिजिटल पहचान बनाने का लक्ष्य रखा गया है, और 2024-25 में 400 जिलों में डिजिटल फसल सर्वेक्षण शुरू करने की योजना है.
कृषि निर्णय सहायता प्रणाली (Krishi DSS) के माध्यम से किसानों को फसल योजना, फसल स्वास्थ्य, कीट प्रबंधन आदि से संबंधित सलाह दी जाएगी, जिससे किसानों को फसल विविधीकरण में भी मदद मिलेगी.
कृषि सखी योजना
ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कृषि और ग्रामीण विकास मंत्रालयों ने "कृषि सखी" योजना शुरू की है. इस योजना के तहत कृषि सखियों को कृषि पैरा-एक्सटेंशन वर्कर के रूप में प्रशिक्षित और प्रमाणित किया जाएगा. कृषि सखियाँ गाँव स्तर पर कृषि सेवाएं प्रदान कर प्रति वर्ष 50,000 रुपये से अधिक कमा सकेंगी, जिससे उनकी आर्थिक स्वतंत्रता को बढ़ावा मिलेगा.
कृषि अवसंरचना कोष (AIF)
कृषि अवसंरचना की कमी को दूर करने और निवेश जुटाने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत कृषि अवसंरचना कोष (AIF) की शुरुआत की गई. इसका उद्देश्य कृषि अवसंरचना में सुधार लाकर देश के कृषि परिदृश्य को बदलना है. योजना के तहत ₹ 1 लाख करोड़ का फंड वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2025-26 तक वितरित किया जाएगा, और इसका समर्थन 2032-33 तक मिलेगा.
AIF के मुख्य बिंदु:
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3% ब्याज सब्सिडी और क्रेडिट गारंटी समर्थन.
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फसल कटाई के बाद प्रबंधन और सामुदायिक कृषि संपत्तियों में निवेश को प्रोत्साहन.
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अब तक 76,400 परियोजनाओं के लिए ₹48,500 करोड़ स्वीकृत.
योजना का विस्तार:
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प्राथमिक प्रसंस्करण के साथ द्वितीयक प्रसंस्करण परियोजनाओं को शामिल करना.
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PM-KUSUM के साथ AIF का एकीकरण.
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FPOs के लिए क्रेडिट गारंटी समर्थन.
प्रभाव:
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8.25 लाख रोजगार के अवसर.
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500 लाख मीट्रिक टन की अतिरिक्त भंडारण क्षमता.
सरकार ने 100 दिनों में 7,000 से अधिक बुनियादी ढांचा इकाइयां स्थापित करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें कुल ₹7,500 करोड़ का निवेश जुटाया जाएगा.
किसान उत्पादन संगठन (एफपीओ):
एफपीओ को कृषि और किसान कल्याण विभाग द्वारा बीज, उर्वरक, कीटनाशक, एपीएमसी व्यापार लाइसेंस दिए गए हैं. इससे एफपीओ को सामूहिक रूप से इनपुट की छूट मिलती है और उत्पादन लागत कम होती है. इनपुट लाइसेंस की संख्या 7,728 से बढ़कर 22,462 हो गई है, और 4433 एफपीओ को ओएनडीसी प्लेटफॉर्म पर जोड़ा गया है. ओएनडीसी से एफपीओ को बाजार पहुंच में विस्तार और मूल्यवर्धित सेवाओं तक पहुंच मिलती है.
स्वच्छ पौध कार्यक्रम:
भारत सरकार ने 1767.67 करोड़ रुपये के निवेश से स्वच्छ पौध कार्यक्रम शुरू किया है. इसका उद्देश्य किसानों को प्रमाणित, रोग मुक्त पौध सामग्री प्रदान करना है. 9 स्वच्छ पौध केंद्र और 75 नर्सरियां स्थापित की जाएंगी, जिससे देशभर में उच्च गुणवत्ता वाले फल पौधों की उपलब्धता बढ़ेगी.
नेशनल पेस्ट सर्विलांस सिस्टम (एनपीएसएस):
एनपीएसएस एक डिजिटल पहल है जिसका उद्देश्य पेस्ट सर्विलांस में सुधार करना है. इसके अंतर्गत एक मोबाइल ऐप और वेब पोर्टल शामिल हैं, जो पेस्ट पहचान और समय पर उपचार की एडवाइजरी प्रदान करते हैं. 15 अगस्त 2024 को इसका शुभारंभ हुआ, और अब तक 16,000 किसानों ने ऐप डाउनलोड किया है और 22,359 सर्वेक्षण पूरे किए गए हैं.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY):
PMFBY एक केंद्रीय योजना है जो किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करती है. चालू खरीफ मौसम में 35 लाख किसानों और 40 लाख हेक्टेयर भूमि का बीमा किया गया है. कुल बीमित किसानों की संख्या 293 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है.
बाढ़ सर्वेक्षण:
आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बाढ़ की स्थिति का मूल्यांकन करने के लिए केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल ने दौरा किया और रिपोर्ट गृह मंत्री को प्रस्तुत की है.
नए पहल:
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कृषि चौपाल: अक्टूबर 2024 से शुरू होने वाला टेलीविजन और रेडियो कार्यक्रम, जो किसानों को नई कृषि तकनीकों और अनुसंधान के बारे में जानकारी देगा.
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किसानों की शिकायत निवारण प्रणाली (FGRS): एक बहुभाषी प्लेटफॉर्म जो किसानों की शिकायतों और पूछताछ का निवारण करेगा.
खाद्य उत्पादन में उपलब्धियां:
2023-24 में खाद्यान्न उत्पादन 332.2 मिलियन टन अनुमानित है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2.6 मिलियन टन अधिक है. खरीफ फसलों के क्षेत्रफल में 2% वृद्धि हुई है, जिसमें चावल और मक्का शामिल हैं.
कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग की 100 दिन की उपलब्धियां:
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109 नई फसल किस्मों का अनुमोदन.
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बीज उत्पादन केंद्रों को साथी पोर्टल पर शामिल किया गया.
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100 उन्नत कृषि तकनीकों का विमोचन.
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जलवायु परिवर्तन से बचाव के लिए रणनीतिक योजनाएं.
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एआई-आधारित एप/उपकरणों का विकास.
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कृषि शिक्षा की ऑनलाइन व्यवस्था और 'VIKAS' ऐप का विकास.
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केवीके द्वारा 65,000 किसानों और युवाओं को प्रशिक्षित किया गया.
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प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए अनुसंधान और प्रशिक्षण कार्यक्रम.
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