जब किसी क्षेत्र में लंबे समय तक कम या बिल्कुल न के बराबर वर्षा होती है तो उसे सूखा कहा जाता है. इससे प्रभावित क्षेत्र की खेती एवं वहां के पर्यावरण पर अत्यन्त प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था भी डगमगा जाती है. इतिहास में कुछ सूखा बहुत ही कुख्यात रहे हैं जिसमें करोंड़ों लोगों की जाने गयीं हैं. अब सूखे से ही जुडी हुई एक बड़ी खबर आई है. दरअसल, सूखा प्रभावित पूर्वी ऑस्ट्रेलिया में बड़ी नदियों के किनारों पर लाखों मछलियां मरी हुई पाई गई हैं.
अधिकारियों ने सोमवार को चेताया है कि इन मरी हुई मछलियों की संख्या में और इजाफ़ा हो सकता है. मुर्रे-डार्लिंग नदियों के किनारे, सड़ी हुई मछलियों से पटे हुए हैं. अधिकारियों का कहना है कि लाखों की तादाद में मरी मछलियों की संख्या, बढ़कर 10 लाख के करीब पहुंच सकती है. न्यू साउथ वेल्स सरकार ने आगाह किया है कि इस हफ्ते तापमान बढ़ने से स्थिति और बदतर हो सकती है.
बता दें कि लाखों की तादाद में मछलियों की मरने के पीछे ऐसी आशंका जतायी जा रही है कि पानी की कमी और उसका ताप बढ़ने के चलते शैवाल की संख्या बढ़ जाने से मछलियों को ऑक्सीजन मिलना बंद हो गया और विषैले तत्व पैदा होने शुरू हो गए जिससे इनकी मौत हो गई. राज्य मंत्री निआल ब्लेयर ने कहा कि इस हफ्ते और मछलियों के मरने की आशंका है.
गौरतलब है कि मछलियों की मौत एक राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है और इसके पीछे के कारणों के बारे में एवं एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराने का सिलसिला शुरू हो गया है. प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन ने सोमवार को कहा, 'यह विनाशकारी पारिस्थितिकी घटना है.' ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के जल अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ जॉन विलियम्स ने कहा कि मछलियां एवं नदियां सूखे के कारण नहीं मर रही हैं बल्कि ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि हम अपनी नदियों से बहुत अधिक पानी निकाल रहे हैं.
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