
किसानों को उनकी फसल का सही दाम और खेती-किसानी से जुड़े कार्यों को मिनटों में पूरा करने के लिए मार्केट में कई तरह की बेहतरीन कृषि मशीन उपलब्ध हैं. वही, देखा जाए तो अब बाजार में फसल कटाई करने के बाद फल-सब्जियों के अच्छे क्वालिटे के फलों को अलग करने के लिए भी भारत बाजार में एक मशीन आ गई हैं, जिसकी मदद से किसान अब मिनटों में कौन सा छोटा फल है और कौन सा A ग्रेड का फल है. इन सब की तुरंत अलग कर देगा.
बता दें कि जिस कृषि मशीन की हम बात कर रहे हैं. वह साइज ग्रेडर मशीन (Size Grader Machine) है. इस मशीन के उपयोग से किसान की मजदूरों की लागत और समय दोनों में बचत होगी. ऐसे में आइए आज के इस आर्टिकल में हम इस खास कृषि मशीन से जुड़ी हर एक डिटेल जानते हैं...
साइज ग्रेडर मशीन कैसे करती है काम ?
यह मशीन अपने आप फल और सब्जियों को उनके आकार के आधार पर छांट देती है. किसान को बस अपनी उपज मशीन में डालनी होती है और यह मशीन अपने आप छोटे, मीडियम और बड़े आकार के फल-सब्जियों को अलग-अलग कर देती है. अब फसल को बाजार में अच्छे दाम दिलवाने के लिए उसे सही तरीके से तैयार करना भी जरूरी हो गया है. इसी में साइज ग्रेडर मशीन किसानों की मदद करती है.
किसानों को कैसे होता है फायदा?
मजदूरी की बचत: अब छंटाई के लिए मजदूरों की जरूरत नहीं, जिससे मेहनताना बचता है.
समय की बचत: हाथ से छंटाई में जो काम हफ्तों लगता था, अब वो कुछ घंटों में हो जाता है.
फसल की बर्बादी कम: हाथ से छंटाई में फल दबकर या टूटकर खराब हो जाते थे, मशीन से ये नहीं होता.
बाजार में अच्छा दाम: साइज के हिसाब से छंटी फसल को व्यापारी ज्यादा दाम देते हैं.
किन फसलों के लिए है उपयुक्त?
यह मशीन टमाटर, आलू, प्याज, लहसुन, सेब, संतरा, आंवला, चीकू, अमरूद, नींबू जैसे गोल आकार वाले फलों-सब्जियों के लिए बेहद कारगर है.
सरकार भी दे रही सहयोग
आर्थिक रुप से कमजोर किसानों तक इस स्मार्ट तकनीक को पहुंचाने के लिए सरकार की तरफ से इस मशीन पर 40 से 60 फीसदी सब्सिडी दी जाती है. खासकर उत्तराखंड, हिमाचल, महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे राज्यों में इसका काफी उपयोग हो रहा है.
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