Water Filling Jugaad: खेती किसानी के लिए कई प्रकार के कृषि यंत्रों या उपकरणों की आवश्यकता होती है, जिससे कई मुश्किल कामों को कम समय और श्रम में पूरा किया जा सकता है. हर एक कृषि यंत्र खेती में अपनी अलग भुमिका निभाता है. खेत की जुताई से लेकर फसल की ढुलाई तक के कठिन कार्यों को आसान बनाने में कृषि उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है. छोटे खेत या बागों में सिंचाई के लिए वाटर पम्प की जरूरत होती है, लेकिन हर एक किसान के लिए इन्हें खरीदना मुमकिन नहीं होता क्योंकि इनकी कीमत काफी अधिक होती है. ऐसे में किसानों को खुद से ही पानी भरकर खेत की सिंचाई करनी पड़ती है, जिससे समय और मेहनत दोनों ही काफी अधिक लगती है. किसानों की इसी समस्या को देखते हुए बिहार के पूर्णिया जिले के लोहियानगर के गांव चाँदी में रहने वाले किसान शशीभूशण सिंह ने देसी जुगाड़ से खेतों की सिंचाई के साथ-साथ अन्य कामों को आसान बनाने के लिए ‘पनभरना जुगाड़’ को निर्मित किया है.
ढोना पड़ता था कई लीटर पानी
किसान शशीभूशण सिंह मुख्य रूप से सब्जियों की खेती करते हैं, साथ ही वह अनाज वाली फसलों का भी उत्पादन करते हैं. खेती किसानी के क्रम में दूर दराज के खेतों में जिसे प्राय: बाद्य या सरेह भी कहां जाता है, वहां पानी का कोई श्रोत नहीं होता है. इस स्थिति में पानी के माध्यम से किए जाने वाले छोटे-मोटे काम, जैसे – सिंचाई, दवा और खर-पतवार नाशी का छिड़काव करने के लिए 150 लीटर पानी प्रति एकड़ श्रमिक के माध्यम से अथवा खुद से 1-2 किलोमीटर तक पानी को ढोना पड़ता था, जिसमें आधे दिन की मजदूरी लग जाती थी.
इसके अलावा, मजदूर पर निर्भर होने के चलते काम समय पर भी नहीं हो पाता था. वहीं गर्मियों के दिनों में परेशानी अधिक हो जाती थी और पीने के पानी तक की भी दिक्कत आती थी. किसान को प्रत्येक दिन सेक्शन पाइप (Suction Pipe) में पानी भरकर डालना और निकालने झंझट लगने लगा था.
क्यों रखा नाम ‘पनभरना जुगाड़’?
फिर एक दिन किसान शशीभूशण सेक्शन पाइप से पानी का काम खत्म करके घर जा रहे थें और उन्हें विचार आया क्यों ना पाइप को छोटा काट कर रस्सी के सहारे बोरिंग से कम मात्रा में पानी निकाला जाए. इसके बाद, किसान ने अगले दिन ही अपने इस आईडिया पर काम करना शुरू किया और तीन फीट पाइप में चेक वॉल्ब लगा कर कई प्रयास के बाद रस्सी के माध्यम से लगभग 5 लीटर पानी एक बार में निकालने सफल हुए. किसान ने इस यंत्र को नाम ‘पनभरना जुगाड़’ इसलिए रखा क्योंकि इसे छोटे-मोटे प्रयोग जैसे रस्सी कहां और कैसे बांधना है. डुबाने निकालने की प्रक्रिया इत्यादि में बदलाव करना पड़ा है.
250 से 300 रूपये का आया खर्च
‘पनभरना जुगाड़’ आस-पास के किसानों के बीच काफी तेजी से लोकप्रिय होने लगा और कई प्रशिक्षणों में विभागिय पदाधिकारियों तथा कृषकों के बीच इस जुगाड़ की चर्चा की गयी. किसान ने इस यंत्र का विस्तार, जिसके बाद कई किसानों को इसका लाभ मिला. किसान शशीभूशण सिंह के अनुसार, इस देसी जुगाड़ को बनाने में 250 से 300 रूपये का खर्च आया है. किसान के मुताबिक, इस देसी जुगाड़ को बेकार पड़े सामानों का इस्तेमाल करके भी बनाया जा सकता है. इस जुगाड़ के माध्यम से 5 से 7 लीटर पानी एक बार में आसानी से निकाला जा सकता है.
200 कृषकों ने अपनाया पनभरना जुगाड़
किसान शशीभूषण सिंह के इस पनभरना जुगाड़ को आसपास के लगभग 200 कृषकों द्वारा अपनाया जा रहा है. साथ ही दूर-दराज के कई कृषक बंधु इसे अपना रहे हैं. इसके फायदे की चर्चा सूचना के विभिन्न माध्यमों से दूसरे जिलों में जा रही है.
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