बदलते दौर के साथ खेती करने का तरीका भी बदला है. आजकल खेती में बड़े-बड़े कृषि यंत्रों का उपयोग होता है, जिनकी मदद से किसान कम श्रम में फसल की देखरेख करते हैं. लेकिन यह यंत्र महंगे होने के कारण कई किसान इन्हें खरीद नहीं पाते और पारंपरिक औजारों का उपयोग करते हैं. आज इस लेख में हम आपको ऐसे ही पांरपरिक और आधुनिक कृषि यंत्रों के बारे में बता रहे हैं, जो छोटे किसानों के लिए बहुत उपयोगी हैं.
कृषि के लिए पारंपरिक यंत्र
कृषि यंत्र खेती किसानी के लिए बहुत जरुरी है. नए किसान जिनके पास कम भूमि है, या आधुनिक यंत्र खरीदने के पैसे नहीं है. उनके लिए यह यंत्र बहुत उपयोगी हैं. आईए जानते हैं इन औजारों का उपयोग कैसे होता है.
हंसुआ/ हंसियाः
हंसिया का उपयोग मुख्य तौर पर फसलों की कटाई के लिए होता है. इसकी मदद से धान, गेंहू, ज्वार, बाजरा की फसल काटी जाती है. छोटे किसान हंसिया की मदद से फसलों की कटाई करते हैं. इससे कटाई करना आसान भी होता है. फसलों की कटाई कर उन्हें ढेर के रुप में खेत में रख दिया जाता है.
खुरपीः
यह खेती में प्रमुख औजार है. खरपतवार व फसलों में घास की निंदाई करने के लिए काम आता है. इसके उपयोग से फसलों को बिना कुछ नुकसान पहुंचाए एक-एक घास को निकाला जाता है.
फरसा/ फावड़ाः
इसका उपयोग खेतों की खुदाई और फसलों पर मिट्टी चढ़ाई के लिए किया जाता है. साथ ही यदि खेत में ट्रैक्टर जाने का रास्ता नहीं होता तो किसान फावड़े से खुदाई कर अगली फसल की बुआई करते हैं.
कुदालः
इसका उपयोग फसल लगाने के बाद कतार से कतार के बीच की दुरी की गुड़ाई करने, छोटी-छोटी क्यारियों में बीज की बुआई करने, फसल पर मिट्टी चढ़ाने के लिए किया जाता है.
अब जानते हैं छोटे किसानों के लिए आधुनिक यंत्र-
छोटे किसान जो कम लागत व मेहनत में खेती करना चाहते हैं, उनके लिए यह यंत्र उपयोगी हैं.
ट्रैक्टर चलित रीपर बाइंडरः
यह यंत्र फसल कटाई के काम आता है. पारंपरिक हंसिये के इस्तेमाल से फसल कटाई का कार्य करने पर अधिक मजदूरों की आवश्यकता पड़ती है और समय भी अधिक लगता है और मजदूरी भी अधिक आती है, ऐसे में बड़े किसान ट्रैक्टर चलित रीपर बाइंडर (गेहूं कटाई मशीन) का उपयोग किया जाता है.
पावर वीडरः
इस यंत्र का उपयोग मुख्य तौर पर खरपतवार हटाने के लिए होता है. खुरपी व कुदाल के उपयोग से खरपतवार हटाना ज्यादा मेहनत का काम है. ऐसे में किसान इस यंत्र का उपयोग करते हैं. पावर वीडर का उपयोग मुख्य तौर पर सब्जियों फूलों व फलों के पौधों सहित कपास में अनाश्यक कतारों के बीच में उग आई खरपतवार निकालने में होता है, इसके साथ ही गन्ना फसल में निराई-गुड़ाई तथा मिट्टी चढ़ाने में काम आता है. मिनी पावर वीडर की कीमत 10,000 रूपए से शुरू होकर 50,000 रुपए तक मिल जाता है.
सीड ड्रिल मशीनः
यह मशीन ट्रैक्टर में लगाकर चलाई जाती है. हाथों से बीज की बुवाई करने में खुरपी, कुदाली, देशीहल का उपयोग होता है, जिससे काफी मजदूर और समय लगता है. ऐसे में किसान अब सीड ड्रिल कृषि यंत्र मशीन से फसलों की बुआई करते हैं.
कल्टीवेटरः
ट्रैक्टर चलित कल्टीवेटर में 9 हल होते हैं, जिससे किसान खेतों में गहरी जुताई करते हैं. साथ ही किसान कल्टीवेटर के साथ पाटा लगाकर गेहूं, बाजरा, मक्का, सरसों, जोन्हरी, रहर आदि फसलों की बुआई करते हैं.
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रोटावेटरः
ट्रैक्टर चलित रोटावेटर किसानों के लिए बहुत ही उपयोगी है. इसकी मदद से किसान खेतों की जुताई कर फसलों की बुवाई करते हैं. इसका मुख्य उपयोग खेत की मिट्टी को भुरभुरी करने, सनइ, ढैंचा तथा फसलों के बचे अवशेषों को बारीक करके जमीन में मिलाने के लिए होता है.
पावर टिलर यंत्रः
छोटी जोत वाले किसानों के लिए उपयोगी है. इससे खेत की जुताई से लेकर बुवाई-कटाई और फसल ढुलाई का काम किया जाता है.
फर्टिलाइजर ब्रॉडकास्टरः
फसलों में हाथों से उर्वरक डालने में काफी मेहनत लगती हैं, ऐसे में किसान इस यंत्र का उपयोग कर खेत में 12- 14 मीटर की चौड़ाई वाले स्थान में एक साथ उर्वरक डाल सकते हैं, कभी कभी बीज के छिड़काव में भी इसका इस्तेमाल होता है.
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