यह लेख लिखना आवश्यक नहीं है फिर भी लिख रहा हूं क्योंकि मैं भी एक मूर्ख हूं. बचपन में बड़ों से यही सुनता आया कि सबका दिमाग एक जैसा होता है इसलिए अगर शर्मा जी का लड़का टॉप कर सकता है तो तुम क्यों नहीं. मन ही मन खुद को कोसता था और सोचता कि बात तो सही है. लेकिन मेरा ये भ्रम बहुत जल्दी दूर हो गया. कॉलेज में पढ़ाई गई श्रीमद्भगवदगीता ने अंधेरे दूर किए, अब भी कर रही है और ये मैं जानता हूं कि मरते दम तक करती रहेगी. हम अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में अक्सर 'मूर्ख' शब्द का प्रयोग ऐसे करते हैं जैसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड वालों ने इसका ठेका हमें दिया हो. लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि यह टैग हम हमेशा दूसरों को देते हैं जबकि इसके एक हकदार हम भी हैं.
कौन होता है मूर्ख ?
इसपर अच्छी-खासी बहस की जा सकती है परंतु उसका भी वही नतीजा होगा जो हर शाम टीवी पर होने वाली बहसों का होता है. किसी पर छीटें न आए इसलिए इंसान ने यह तमगा भी बेचारे जानवर को दे दिया. ये फितरत रही है इंसान की. उसने हर उस तीर और कलंक को बेज़ुबान जानवर पर थोप दिया जो बोल नहीं सकता. कभी-कभी सोचता हूं कि अगर ये कुत्ता, बिल्ली, उल्लू वगैरह बोल पाते तो इंसानों का क्या होता.
मूर्ख का साथ - 'कभी नहीं'
मूर्ख कौन है और उसका साथ कैसे विनाशकारी होता है, समझना बहुत आसान है. महाभारत में दुर्योधन का चरित्र सबकुछ बंया करता है. उसका पिता राजा है, वह खुद युवराज है फिर भी न उसे न दिन में चैन और न रात में नींद. वजह एक ही है - वह मूर्ख है. वह महारथी है, परमवीर है फिर भी मामा शकुनि की धूर्त बुद्धि का शिकार है. शकुनि ने उसके मस्तिष्क और मन में घृणा का ऐसा बीज बोया कि वह उसमें डूबता चला गया. ऐसा नहीं था कि दुर्योधन को सतमार्ग दिखाने और समझाने वाले लोग नहीं थे परंतु वह नहीं माना. दुर्योधन के साथ रहने वाले लोग जो हमेशा उसी के पक्ष में थे, हमेशा दुखी रहे. खुद दुर्योधन की मां गांधारी, पितामाह भींष्म, गुरु द्रोण, कर्ण और समस्त प्रजा ने दुर्योधन की मूर्खता का स्वाद चखा. नतीजा यह रहा कि महाभारत युद्ध के बाद भारतवर्ष में वीरों का अकाल पड़ गया. इतना रक्त बहा कि धरती मां लाल हो गई. मूर्खता ने संपूर्ण कुटुंब का विनाश कर दिया. न तो दुर्योधन कभी सुखी रहा और न उसके साथ रहने वाले लोग. इसलिए महाभारत देखिए, गीता पढ़िए और तर्कवान बनकर स्वंय खुद का आकलन कीजिए. हो सकता है आप मूर्खों की टोली से अलग हो जाएं.
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