मैं, सुंदर, सुहाना, जीवित आप का
घायल भी, मृत, भी मैं आप का
मैं, एक कृषि वैज्ञानिक, बना पुष्प हूँ
मैं, डाली पर मुस्कुराता रहता हूँ
पहुंच गुलदस्ते में, महका करता हूँ
कहीं भी, महकूँ, या फिर मैं मुस्काऊ
महकूँ, मुस्काऊ, आप ही के लिये
आप में, मेरी प्राण शक्ती, बसा करती
आप ही, मेरी मुराद हैं, मंज़िल हैं
प्रसन्न रखुं, उर्जित करूं सदा, मुस्कान
ले गम सदैव, लोटाता रहूं मैं, मुस्कान
कृषकों, कामगारों; ग्रामीण गरीबों को
मुझ पुष्प से, कृषि फूले व पहले सदैव
डी कुमार
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