बांस के चावल (बैम्बू राइस), जिसे मुलयारी के नाम से भी जाना जाता है, वास्तव में यह एक मरने वाले बाँस की गोली का बीज है, जो इसके जीवन काल के 60 वर्ष में जा कर उत्पन्न होता है. शोध के अनुसार, यह जंगलों में रहने वाले आदिवासियों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण और प्रमुख स्रोत है. यह चावल बाजारों में आमतौर पर उपलब्ध नहीं है. लेकिन इसकी ऑनलाइन बिक्री बहुत अधिक है. इसमें एक पौधे को फूल बनने में कई साल लगते हैं, जिसमें से इस छोटे अनाज वाले चावल को निकाला जाता है.जब खाना पकाने की बात आती है, तो इसे किसी भी अन्य किस्म के चावल की तरह पकाया जाता है और इसका स्वाद बहुत मीठा होता है. एक बार पकने पर इसकी बनावट में अंतर दिखाई देता है. यह चावल चबाने वाली और थोड़ी नम है और अक्सर इसका उपयोग खिचड़ी बनाने के लिए किया जाता है.
बांस के चावल पर किए गए एक अध्ययन में पता चला कि इसमें चावल और गेहूं दोनों की तुलना में प्रोटीन सामग्री काफी अधिक है. इसका सेवन जोड़ों के दर्द, कमर दर्द और आमवाती दर्द आदि में भी काफी फायदेमंद है. इसका नियमित सेवन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है.इसके साथ ही इसमें मधुमेह को नियंत्रित करने के चमत्कारी गुण मौजूद है.
विशेषज्ञों के अनुसार, बांस के चावल के औषधीय गुण इसे संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित लोगों के लिए एक स्मार्ट विकल्प हैं और उम्मीद है कि आने वाले 5 वर्षों में, बांस के चावल भारतीय किराना बाजार में एक अच्छा पकड़ बना लेंगे.
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बांस के एक कटोरे चावल में इतने प्रतिशत पोषक तत्व मौजूद होते है.....
कैलोरी की मात्रा -160
कार्बोहाइड्रेट -34 ग्राम
प्रोटीन - 3 ग्राम
कोलेस्ट्रॉल - 0
बैम्बू चावल खाने के फायदे (Benefits of Bamboo Rice)
पहले के समय में आदिवासी इन्ही चावलों का सेवन करते थे. जिस वजह से वह मजबूत और तंदरुस्त थे. क्योंकि इसमें मौजूद गुण कई प्रकार की बीमारियों से छुटकारा दिलवाने में लाभदायक है.
- इन चावलों में मैग्नीशियम, ज़िंक, कॉपर आदि मिनरल्स मौजूद होते है जिस वजह से जल्दी भूख नहीं लगती.
- रोजाना सेवन करने से शरीर तंदरुस्त और रोग मुक्त रहता है.
-मधुमेह पीड़ित रोगियों को इसका सेवन करने से शीघ्र ही राहत मिलती है.
- इसके सेवन से हड्डियां मजबूत होती है
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