आज हम एक ऐसे पौधे की बात कर रहे हैं जिसका उपयोग औषधि बनाने में होता है. आयुर्वेद में तो इसका प्रयोग सबसे अधिक किया जाता है. इस पौधे का नाम है - सतावर. इसे शतावर या शतावरी भी कहते हैं. यह पौधा भारत के पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है. इसकी जड़ें गुच्छों की तरह होती है. आज यह पौधा अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है अर्थात् इस पौधे पर लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है.
उपयोग
आयुर्वेद में इसे 'औषधियों की रानी' कहा जाता है. इसमें मौजूद चमत्कारी तत्व महिलाओं के भीतर नई ऊर्जा का संचार करते हैं. सतावर का प्रयोग दर्द कम करने, महिलाओं में दूध की मात्रा बढ़ाने, मूत्र विसर्जन के समय होने वाली जलन को कम करने और काम उत्तेजना बढ़ाने के लिए किया जाता है. यह पौधा कम भूख लगने व अनिद्रा की बीमारी में फायदेमंद है. इसे 'महिलाओं की टॉनिक' भी कहा जाता है. इसका उपयोग आयुर्वेद के अलावा होम्योपैथिक दवाइयों में किया जाता है. भारतभर के पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी खेती की जाती है. वैसे तो शतावर की खेती की जा सकती है लेकिन शतावर स्वंय ही उगने वाला पौधा है. इसकी जड़ का उपयोग दस्त और मधुमेह के उपचार के लिए किया जाता है. आमतौर पर शतावर का उपयोग शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है. इसका रोज़ सेवन करने से महिलाओं की शारीरिक कमज़ोरी दूर हो जाती है.
यहां मुफ्त मिलेगा शतावर ?
शतावर के लिए आप अपने नज़दीकी आयुर्वेद दवाखाने से संपर्क करें. यहां या तो आपको शतावर मिलेगा या कोई ऐसी औषधि, जिसमें शतावर का मिश्रण हो. शतावर को आप अपने नज़दीकी चिकित्सालय से मुफ्त में भी ले सकते हैं. परंतु शतावर का सेवन जब भी करें तो किसी डॉक्टर की सलाह लेकर करें
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