बुरांस का फूल दिखने में बेहद खुबसूरत व मनमोहक है. खुबसूरत होने के साथ ही बुरांस के फूल के कई फायदे भी हैं. बुरांस के वृक्ष पहाड़ों के घने जंगलों में होते हैं. कहा जाता है कि बुरांस के फूल उत्तराखंड के जंगलों के लिए वरदान से कम नहीं है.
बुरांस के फूलों का खिलने का समय मार्च- अप्रैल में होता है. बुरांस के फूलों का रंग गहरा लाल होता है. इसका वनस्पति नाम रोडोडेंड्रोन अर्बोरियम (Rhododendron Arboreum) है. पूरी दुनिया में 1200 से अधिक बुरांस की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिसमें से तकरीबन 800 प्रजातियां चीन में होती हैं. जबकि उत्तराखंड के जंगलों में बुरांस की लगभग 80 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिसमें 98 फीसदी प्रजातियां हिमालयी क्षेत्रों में होती हैं. तभी तो बुरांस उत्तराखंड का राजकीय वृक्ष है.
बुरांस पूरी तरह से औषधीय गुणों से भरपूर होता है. वृक्ष के पत्ते, जड़ और खाल को औषधीय उपयोग में लाया जाता है. खासकर बुरांस के फूल हृदय संबंधी रोग, डायरिया, बुखार जैसी बीमारियों के लिए बेहद ही कारगर साबित होते हैं. बुरांस के फूलों का जूस बनाया जाता है, और लंबे समय तक इसे सेवन में लाया जाता है. डायबिटीज मरीजों के लिए भी यह वरदान साबित होता है. माना जाता है कि पहले के लोग बुरांस के जूस को ही डायबिटीज की दवा के तौर पर पीते थे. बुरांस के फूलों से बना जूस खरीदने के लिए आप एफटीबी आर्गेनिक की बेवसाइट से ऑर्डर कर सकते हैं. https://ftborganic.com/organikrishi/buransh-squash-450ml/
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बुरांस की पत्तियों व तने में फिनोलिक एसिड होता है और इसमें मौजूद औषधीय गुणों से एचआईवी (HIV) से लड़ने की दवाईयां बनाई जाती है. इतना ही नहीं बुरांश के फूलों को त्वचा संबंधी बीमारी, पेट की बीमारी में रामबाण इलाज माना जाता है. तो वहीं दूसरी तरफ बुरांस की लकड़ी इतनी मजबूत होती है कि इसका प्रयोग खुकरी शस्त्र के हैंडल के लिए उपयोग किया जाता है. भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट का यह एक प्रमुख हथियार है.
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