गर्मी का मौसम शुरू होते ही कई तरह की परेशानियां लोगों के लिए मुसीबतें भी शुरू हो चुकी हैं. उमस और पसीना तो लोगों को सताता है ही इसके साथ ही लू लगना, डिहाइड्रेशन और सनस्ट्रोक जैसी तमाम समस्याओं से निजात पाने के लिए भी लोग कई तरह के पैंतरे आजमाते हैं. तो आज हम इन्हीं समस्याओं में से एक डिहाइड्रेशन के बारे में जानेंगे कि कैसे इस बीमारी से निजात पाया जाए, इससे दूर रहने के लिए क्या करें, और इसके लक्षण क्या-क्या हैं-
क्या है डिहाइड्रेशन
यह तो सभी जानते हैं कि हमारे शरीर का 70 प्रतिशत भाग में पानी हैं. तो इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि पानी हमारे शरीर के लिए कितना जरूरी है. ऐसे में अगर शरीर में पानी की कमी हो जाती है तो इसे डिहाइड्रेशन कहा जाता है. जिसके कई कारण हो सकते हैं. बहुत से लोगों को पसीना बहुत आता है, तो वहीं उल्टी और दस्त होने के कारण भी डिहाइड्रेशन की शिकायत हो जाती है.
डिहाइड्रेशन से नुकसान
डिहाइड्रेशन पर आसानी से काबू किया जा सकता है. लेकिन ज्यादा समय तक नजरअंदाज करना जीवन के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है. यह समस्या न केवल बच्चों के लिए बल्कि बड़ों के लिए भी घातक साबित हो चुकी है. बता दें कि एक रिसर्च में सामने आया है कि भारत में हर साल डिहाइड्रेशन की वजह से लाखों लोगों की मौत होती है. वहीं ज्यादा तेज गर्मी में डिहाइड्रेशन ग्रस्त लोगों को दिल का दौरा पड़ने की शिकायत भी रहती है.
डिहाइड्रेशन के लक्षण
मुंह सूखते रहना
आंखों का अंदर की ओर धंस जाना
व्यक्ति में कमजोरी और चक्कर आना
शरीर का तापमान कम होना
ज्यादा मुंह सूखना और बार-बार पानी मांगना
डिहाईड्रेशन पर रोकथाम
डिहाईड्रेशन हमेशा पानी की कमी की वजह से फैलता है. तो यह जरूरी है कि इस बीमारी में पानी की कमी को दूर करने पर फोकस किया जाए. शरीर में पानी की कमी को दूर करने के लिए पानी और खनिज की पूर्ति कराना जरूरी होता है. इसके लिए पेय पदार्थों का ज्यादा से ज्यादा सेवन करना चाहिए. इसके लिए आम पन्ना, कच्चे दूध की पतली लस्सी, नारियल पानी, बेल का शरबत, शिकंजी, छाछ या फिर दवा की दुकानों पर मिलने वाले ओआरएस को थोड़ी-थोड़ी देर में रोगी को देते रहना चाहिए.
डिहाइड्रेशन को कभी भी हल्के में न लें. कई बार डिहाइड्रेशन बहुत मामूली होता है, जिससे लोग उसे नजर अंदाज करते हैं, लेकिन बाद में यह घातक बन सकता है. दस्त एवं उल्टी की बीमारी में पानी के साथ शरीर से जरूरी खनिज जैसे नमक, पोटैशियम इत्यादि भी निकल जाते हैं, इसीलिए रोगी को सादा पानी न दें. दिए जाने वाले पेय पदार्थ भी संभव हो सके तो उबले हुए पानी से ही बनाए.
Share your comments