हमारे आस-पास कई प्रकार की जड़ी-बूटी उपलब्ध होती हैं, लेकिन हम आमतौर पर उनके बारे में नहीं जानते हैं. आज के इस लेख में एक ऐसी ही औषधि कि बारे में बात करने जा रहे हैं जिसे लताकरंज या पूतकरंज के नाम से जाना जाता है. यह एक ऐसी जड़ीबूटी है जिसका सेवन करने से बुखार, मलेरिया, बवासीर, मधुमेह आदि परेशानियां दूर होती हैं. विशेषज्ञों के अनुसार यह वात, पित्त और कफ तीनों दोषों को संतुलित करती है. खासतौर पर इसके बीजों की तासीर काफी गर्म होती है जिसका उपयोग करने से शरीर निरोगी रहता है.
लताकरंज क्या है
लताकरंज एक कांटे युक्त आयुर्वेदिक औषधि है, इसके पत्ते, फल, शाखाएं सभी में कांटे होते हैं. इसलिए इसका उपयोग करने के दौरान इसे सावधानी से काटना पड़ता है. इसकी खासियत यह है कि ये कहीं भी आसानी से उग जाती है. इसके फलों का उपयोग कई प्रकार की औषधि बनाने में किया जाता है.
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लताकरंज के औषधीय गुण
लताकरंज में कई प्रकार के औषधीय गुण होते हैं. जैसे यह पचने में हल्का होता है लेकिन इसका स्वाद कड़वा होता है. इसके अलावा शरीर को गर्म रखने की इसमें क्षमता होती है.
लताकरंज के दूसरे नाम
लताकरंज को कई अलग-अलग नामों से जाना जाता है.
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हिंदी में कंजा, कंटकरंज, करंजु के नाम से जाता है.
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अंग्रेजी में इसे फीवर नट कहा जाता है.
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संस्कृत में पुतिकरंज, लताकरंज, विटाकरंज के नाम से भी जाना जाता है.
लताकरंज का इन बीमारियों में होता है उपयोग
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मलेरिया बुखार में उपयोग- विशेषज्ञों के अनुसार इसका उपयोग आयुर्वेद में बुखार को जड़ से खत्म करने के लिए किया जाता है. इसलिए इसे फीवर नट के नाम से भी जाना जाता है.
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उल्टी रोकने में उपयोग- ज्यादा उल्टियां होने पर इसका उपयोग किया जाता है. इसके चूर्ण को शहद में मिलाकर उपयोग किया जाता है.
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त्वचा रोगों में लाभकारी- खुजली, दाद, फंगल इंफेक्शन जैसे त्वचा रोग होने पर इसका उपयोग किया जाता है. त्वचा रोग होने पर पूतिकरंज के पत्तों को पीसकर उसमें कनेर की जड़ मिलाकर खुजली वाली जगह पर लेप लगाने से फायदा मिलता है.
लताकरंज का उपयोग इस प्रकार की कई बीमारियों में किया जाता है. लेकिन ध्यान रहे कि इसका उपयोग किसी विशेषज्ञ सलाह पर ही करें.
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