
Chhath Puja 2025: छठ पूजा सूर्य भगवान और छठी मैया को समर्पित चार दिवसीय व्रत है. इस पर्व की जड़ें प्राचीन काल से जुड़ी हैं. माना जाता है कि राजा प्रियव्रत को संतान प्राप्ति नहीं हो रही थी. यज्ञ करने के बाद भी उन्हें मृत संतान की प्राप्ति हुई. तभी ब्रह्मा जी की मानस पुत्री देवसेना (छठी मैया) प्रकट हुईं और उन्होंने राजा को कार्तिक शुक्ल षष्ठी को पूजा करने की सलाह दी. राजा की पत्नी ने व्रत रखा और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. तभी से इस पर्व की परंपरा शुरू हुई.
चार दिन की छठ पूजा विधि:
- नहाय-खाय (25 अक्टूबर, शनिवार)
इस दिन व्रती स्नान करके शुद्ध सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं. लौकी, चावल और चने की दाल से बना सादा खाना लिया जाता है.
- खरना (26 अक्टूबर, रविवार)
व्रती पूरे दिन निर्जल उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ की खीर, रोटी और फल का प्रसाद बनाकर व्रत खोलते हैं. इसके बाद वे अगली सुबह तक बिना पानी के उपवास रखते हैं.
- संध्या अर्घ्य (27 अक्टूबर, सोमवार)
शाम के समय व्रती तालाब या नदी किनारे जाकर डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं. पूजा की टोकरी में ठेकुआ, फल, नारियल आदि चढ़ाए जाते हैं.
- उषा अर्घ्य (28 अक्टूबर, मंगलवार)
अंतिम दिन प्रातःकाल उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही व्रत का समापन होता है. इसी के साथ परिवार में प्रसाद वितरण और मनोकामना पूर्ति की कामना की जाती है.
छठ पूजा 2025: तिथि व समय
दिन |
तिथि |
कार्यक्रम |
समय |
शनिवार |
25 अक्टूबर |
नहाय-खाय |
06:28 AM – 05:42 PM |
रविवार |
26 अक्टूबर |
खरना |
06:29 AM – 05:41 PM |
सोमवार |
27 अक्टूबर |
संध्या अर्घ्य |
06:30 AM – 05:40 PM |
मंगलवार |
28 अक्टूबर |
उषा अर्घ्य |
06:30 AM – 05:39 PM |
कहां-कहां मनाई जाती है छठ पूजा?
यह पर्व खासतौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड, दिल्ली और नेपाल के कुछ क्षेत्रों में बड़ी श्रद्धा से मनाया जाता है. आजकल देश-विदेश में बसे प्रवासी भारतीय भी इस पर्व को पूरे रीति-रिवाज से मनाते हैं.
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