Mint Plant: मिंट एक तरह की जड़ी-बूटी का पौधा है, जोकि काफी छोटे होते है और साथ ही ये पौधे सुगंधित भी होते हैं. यह आमतौर पर सुगंधित पत्तों/Fragrant Leaves के लिए उगाए जाते हैं. इस पौधे का वैज्ञानिक नाम "Mentha" है. बता दें कि मिंट को हम पुदीना के नाम से भी जानते हैं. मिंट के पत्ते हरे और आकार में छोटे होते हैं. देखा जाए तो मिंट के पत्तों में सुगंध काफी अधिक तेज आती है, जिसके चलते इसका इस्तेमाल चाय, मसालों, मिठाई और चिकित्सा में किया जाता है.
वही, मिंट लैमियासी से जुड़ा एक पौधा है, जिसमें तुलसी, मेंहदी, अजवाइन, थाइम, कोलियमस और अन्य कई तरह के औषधीय पौधे/ Medicinal Plants शामिल होते हैं. अगर आप मिंट के पत्ते का सेवन करते हैं, तो आपका पाचन तंत्र मजबूत बनता है, सर्दी जुकाम में राहत मिलता है, सिरदर्द में राहत और वजन भी कम होने में इसके पत्ते काफी लाभकारी साबित होते हैं. ऐसे में आइए मिंट की खेती/ Mint ki Kheti के बारे में विस्तार से जानते है.
मिंट के पौधे से जुड़ी जरूरी बातें
मिंट का पौधा/ Mint Plant किसी भी तरह की जलवायु में आसानी से उग जाता है. इसके अलावा किसान मिंट के पौधे की देखभाल भी सरलता से कर सकते हैं. इसके पौधे के लिए किसान को सूखे और शांत जगहों का चयन करना चाहिए. जहां से सही से विकसित हो सके. ध्यान रहे कि जिस भी स्थान पर आप मिंट के पौधे को लगाना चाहते हैं, वह उचित धूप और पानी की सही व्यवस्था होनी चाहिए. अगर हम सिंचाई की बात करें, तो मिंट फसल को हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है. किसान को मिंट फसल की सिंचाई करीब 8 दिन में करनी चाहिए.
मिंट के लिए जलवायु और मिट्टी/ Climate and Soil for Mint
किसान मिंट की खेती/Mint Cultivation शीतोष्ण, सम शीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में आसानी से कर सकते हैं. साथ ही बलुई दोमट मिट्टी जिसमें जैविक तत्वों की उचित मात्रा होनी चाहिए. मिट्टी का PH मान 6-7.5 तक होना चाहिए.
मिंट की उन्नत किस्में/Varieties of Mint
अगर आप भी मिंट की खेती से अच्छा लाभ पाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको मिंट की उन्नत किस्मों का चयन करना होगा. जो कुछ इस प्रकार से हैं. एमएएस-1, कोसी, कुशाल, सक्ष्म, गौमती (एच. वाई. 77), शिवालिक, हिमालय, एल-11813, संकर 77, ई.सी. 41911 आदि. मिंट की ये सभी किस्में कम लागत में अधिक पैदावार देने में सक्षम है.
मिंट की खेती इस माह में करें/ Cultivate Mint in this Month
किसानों को मिंट के पौधे से अच्छी पैदावार पाने के लिए इसकी बुआई/रोपण जनवरी से अप्रैल माह के बीच में करनी चाहिए. इस दौरान इसके पौधे अच्छे से विकसित होती है. वही अगर किसान मिंट के पौधे की बुवाई में देरी कर देते हैं, तो फिर बाद में पौधे में तेल की मात्रा के साथ विकास दर कम होती है. इसके अलावा किसान मिंट की सकर उत्पादन अगस्त महीने में प्राप्त कर सकते हैं.
मिंट की खेती के लिए खाद एवं उर्वरक/Manure and Fertilizer for Mint Cultivation
मिंट की खेती से अच्छी पैदावार पाने के लिए खेत में अंतिम जुताई के दौरान गोबर खाद 16 टन डालें और फिर उसे अच्छे से पूरे खेत में मिला दें. इसके अलावा किसान को खेत में नाइट्रोजन 58 किलो, फास्फोरस 35 किलो और पोटेशियम 20 किलो डालनी चाहिए.
मिंट फसल की कटाई/Mint Harvest
किसानों को मिंट की फसल की कटाई मई से जुलाई महीने में कर सकते हैं. दरअसल, इस माह में मिंट की फसल अच्छे से विकसित होकर कटाई के लिए पुरी तरह से तैयार हो जाती है. किसान को मिंट की पहली कटाई के बाद फसल की दूसरी कटाई करीब 80 दिनों के बाद ही शुरू करनी चाहिए. अच्छा लाभ पाने के लिए किसान को मिंट के पौधे की कटाई के बाद लगभग 2-3 घंटे तक धूप में छोड़ देना चाहिए. ताकि पौधों से आसानी से तेल निकाला जा सके.
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