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ऐसे करें रेवांड चीनी की उन्नत खेती, पढ़िए पूरी खबर

रेवांड चीनी 1 से 1.5 मीटर लंबा एक बारहमासी पौधा होता है. जिसकी पत्तियां अंडाकार लंबी और चमकदार होती है. साथ ही इसकी जड़ें मोदी व लंबी दिखाई देती है. इस पौधे का हिमालय के एल्पाइन क्षेत्रों में 2800-3800 मीटर (समुद्र तल से) के बीच अच्छा विकास होता है. इस पौधे की खेती के लिए सूखी तथा छिद्रित मिट्टी उपयुक्त होती है.

कंचन मौर्य
कंचन मौर्य

रेवांड चीनी 1 से 1.5 मीटर लंबा एक बारहमासी पौधा होता है. जिसकी पत्तियां अंडाकार लंबी और चमकदार होती है. साथ ही इसकी जड़ें मोदी व लंबी दिखाई देती है. इस पौधे का हिमालय के एल्पाइन क्षेत्रों में 2800-3800 मीटर (समुद्र तल से) के बीच अच्छा विकास होता है. इस पौधे की खेती के लिए सूखी तथा छिद्रित मिट्टी उपयुक्त होती है.

उगाने की साम्रगी

बीज तथा प्रकन्द का ऊपरी भाग

सितम्बर-अक्टूबर में बीजों को एकत्रित किया जा सकता है.

नर्सरी तकनीक

पौध तैयार करना

15 सेमी की दूरी पर मार्च और अप्रैल में बीजों को खुले स्थानों पर प्रत्यारोपित किया जाता है.

बीज से पौध लगभग एक महीने में पूर्ण हो जाती है.

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पौध दर और पूर्व उपचार

लगभग 600 ह्राम बीज एक हेक्टेयर क्षेत्र के लिए आवयश्क होता है.

बीजों के लिए कोई विशिष्ट पूर्वभिक्रिया की आवश्यकता नहीं होती है.

खेत में रोपण

भूमि की तैयारी और उर्वरक प्रयोग

भूमि को जोतकर अच्छी तरह से समतल किया जाता है.

10 मी. टन की दर से जंगली घास/एफवाईएम को एक हेक्टेयर भूमि में मिलाया जाता है.

पौधोरोपण और अनुकूलतम दूरी

मई के महीने में तीन माह पुरानी को 50 सेमीX50 सेमी की दूरी पर प्रत्यारोपित किया जाता है.

एक हेक्टेयर भूमि में 40,000 पौधों को प्रत्यारोपित किया जा सकता है.

अंतर फसल प्रणाली

दूसरे वर्ष के बाद किसी अन्य फसल को इसके साथ नहीं उगाया जा सकता है.

एकवर्षीय सब्जी वाली फसलों को प्रथम वर्ष में इस पौधे के साथ उगाया जा सकता है.

संवर्धन और रख-रखाव विधि

सिंचाई

पौध को प्रत्यारोपण के तुरंत बाद सिंचाई करना आवश्यक होता है.

गर्मियों के मौसम में चार सप्ताह के अंतराल में सिंचाई की जाती है.

निराई

वर्षा ऋतु के दौरान 15-30 दिनों के अंतराल में निराई करना आवश्यक होता है.

फसल प्रबंधन

फसल पकना और कटाई

पौध से तैयार की गई फसल को पकने में लगभघ 4-5 साल लगते है जबकि प्रकंदों से फसल उगाने में 2-3 वर्ष का समय लगता है.

एक वर्ष के बाद मई-जून में फूल आ जाते है और फल सितबंर-अक्टूबर में आ जाते है.

पौधा चार ऋतुओं के बाद सितम्बर व अक्टूबर में परिपक्व हो जाता है.

खेती पशचात् प्रबंधन

जड़ और प्रकन्द को अच्छी तरह से धोकर, छोटे-छोटे टुकड़े करके छायादार स्थान पर सुखाया जाता है.

सूखी हुई सामग्री को हवा बंद बक्सों में भडारित किया जाता है.

पैदावार

1800 मीटर की उंचाई वाले क्षेत्रों में प्रतिहेक्टेयर 3.70 से 6.60 मी. टन की पैदावार होती है.

2200 मी. की ऊंचाई वाले क्षेत्र में प्रतिहेक्टेयर 6.50 से 10.8 मी. टन की पैदावार होती है.

English Summary: This is how advanced cultivation of Rewand sugar, read full news Published on: 12 December 2019, 12:33 IST

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