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किसान आसानी से कर सकते हैं कुठ की खेती, ये है तरीका

कुठ, जिसका वानस्पतिक नाम ससुरिया कोस्टस (Saussurea costus) भी है, की खेती भी किसान आसानी से अपना सकते हैं. कुठ सीधा और मज़बूत पौधा होता है जिसकी लम्बाई एक से दो मीटर तक की होती है. इसका तना मोटा और रेशेदार होता है. इसकी जड़ गाजर की तरह ही बाहर की ओर होती है. आपको बता दें कि कुठ की पौध तैयार करने के लिए किसान सितम्बर या अक्टूबर में पॉलीहाउस (Polyhouse) के तहत इसकी खेती कर सकते हैं. खास बात यह है कि सर्दियों में कुठ का विकास अधिक होता है. यह एक बारहमासी पौधा है. किसान प्रति हेक्टेयर 2 से 3.5 टन तक का उत्पादन कर सकते हैं. वहीं गढ़वाल में इसका उत्पादन ज़्यादा होता है.

सुधा पाल
सुधा पाल
main kuth

कुठ, जिसका वानस्पतिक नाम ससुरिया कोस्टस (Saussurea costus) भी है, की खेती भी किसान आसानी से अपना सकते हैं. कुठ सीधा और मज़बूत पौधा होता है जिसकी लम्बाई एक से दो मीटर तक की होती है. इसका तना मोटा और रेशेदार होता है. इसकी जड़ गाजर की तरह ही बाहर की ओर होती है. आपको बता दें कि कुठ की पौध तैयार करने के लिए किसान सितम्बर या अक्टूबर में पॉलीहाउस (Polyhouse) के तहत इसकी खेती कर सकते हैं. खास बात यह है कि सर्दियों में कुठ का विकास अधिक होता है. यह एक बारहमासी पौधा है. किसान प्रति हेक्टेयर 2 से 3.5 टन तक का उत्पादन कर सकते हैं. वहीं गढ़वाल में इसका उत्पादन ज़्यादा होता है.

किसान कुठ की खेती करने के लिए बीज और जड़ का उपयोग कर सकते हैं. जड़ों की कटिंग और कॉलर क्षेत्र जिसकी परिधि (circumference) 2.5 cm होती है, उसका उपयोग पौध उगाने में किया जा सकता है.  

जलवायु और मिट्टी

इसको नमी वाली जलवायु में 2500 से 3000 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्र में प्रत्योपित किया जाता है. गहरी दोमट मिट्टी इसकी मोती लम्बी जड़ के विकास के लिए उपयुक्त होती है.

पौध दर और पूर्व उपचार

एक हेक्टेयर में किसान लगभग 1.5  किलो  बीजों या 18000 अंकुरित बीजों (पौध) को लगा सकते हैं. 

ऐसे तैयार करें खेत और दें खाद

अच्छी तरह से खेत की जुताई करनी चाहिए और इसी दौरान खाद भी 15 टन हेक्टेयर की दर से खेत में डालना चाहिए. आपको बता दें कि 6 से 9 महीने के बीच पुराने पौधों को प्रत्योपित किया जाता है. बीज बोन के लिए छोटे गड्ढों को तैयार किया जाता है. बीजों को 30 cm की दूरी पर बोया जाता है. वहीं 6 महीने के विकास के बाद पौधों में 2 से 2.5 फुट की दूरी रखी जाती है.

kuth

सिंचाई और निराई

विकास के बाद कुठ के पौधों में एक साल बाद सिंचाई की ज़्यादा ज़रूरत नहीं पड़ती है. शुष्क महीने के दौरान 4 से 6 दिन के अंतर पर सिंचाई करनी चाहिए. पौध बनने के बाद बारिश के समय निराई ज़रूरी है.

फसल प्रबंधन

किसान फसल को 2 से 4 साल में तैयार कर काट सकते हैं. लगभग 15 से 20 दिनों के बाद फूल निकलने पर कुठ की जड़ों को काटा जाता है. ऊपर से फूल काटकर एक हफ्ता धुप में सुखाकर ही इसे लगाया जाता है.

किस तरह उपयोगी है कुठ

कुठ की खेती करने वाले किसान इससे काफी मुनाफा कमा सकते हैं क्योंकि इसका इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने में भी किया जाता है. इसका उपयोग गठिया रोग (Arthritis), सर्दी-ज़ुकाम (cold and cough) में किया जाता है. इसके साथ ही पेट सम्बन्धी रोगों के लिए भी कुठ काफी फायदेमंद है.

English Summary: how to do Saussurea costus farming Published on: 12 December 2019, 01:57 IST

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