आपने अक्सर खेतों, बगीचों या आसपास के मैदानों में कई तरह की घास को उगते देखा होगा, लेकिन बहुत कम लोग इन घास के नाम जानते होंगे. इ्न्हीं में दूधिया घास भी शामिल है, जिसे अपने खेतों, बगीचों या आसपास के मैदानों में उगते देखा होगा. अक्सर लोग इसे एक साधारण घास समझकर उखाड़कर फेंक देते हैं, लेकिन यह साधारण सी दिखने वाली घास वास्तव में कई रोगों की दवा है. आइए आज आपको दूधिया घास से होने वाले अनगिनत फायदों की जानकारी देते हैं.
दूधिया घास की पहचान (Identification of Milkweed Grass)
भारत में सभी जगह दूधिया घास पाई जाती है. इसका पौधा दो प्रकार का होता है. एक छोटे पत्तों वाली दूधिया घास होती है, जिसके पत्ते हल्के लाल रंग के होते हैं. इसके फूल लाल रंग के होते है. इसके अलावा दूसरी बड़े पत्तों वाली दूधिया घास होती है, जिसके पत्ते हरे रंग के पाए जाते हैं. इन पर हल्के लाल रंग की लालिमा होती है. इन दोनों के गुण लगभग समान ही होते हैं. दूधिया घास का पौधा झाड़ीनुमा और जमीन पर फैला हुआ होता है. इसका स्वाद कड़वा होता है. बता दें कि जब दूधिया घास की टहनियों को तोड़ा जाता है, तो उसमें से लसलसा दूध निकलता है, इसलिए इसे दूधिया घास कहा जाता है. वैसे इसे दूधी, मिल्क एड्ज, दुग्धिका, नागार्जुनी, दुधेली, दोधक, शीरक, लाहन घास के नाम से भी जाना जाता है.
दूधिया घास के औषधीय गुण (Medicinal properties of Medicinal grass)
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बांझपन, नपुंसकता और शीघ्रपतन जैसी बीमारियों को भी दूर करती है.
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दूधिया घास को थोड़ा सा पीसकर पानी में मिलाकर सुबह-शाम पीने से अतिसार की बीमारी दूर होती है.
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इसका सेवन से आंते स्वस्थ रहती हैं.
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पेचिस और पेट की समस्या दूर होती है.
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नाक से खून निकलने पर दूधिया के चूर्ण में मिश्री मिलाकर सेवन करें.
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दूधिया घास के पौधे से निकलने वाले दूध को चेहरे पर लगाने से कील-मुहांसे की समस्या दूर हो जाती है.
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दूधिया घास का रस और कनेर के पत्ते का रस मिलाकर लगाने से बालों का झड़ना बंद हो जाता है.
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इससे बवा काढ़ा खांसी की शिकायत दूर होती है.
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दूधिया का काढ़ा बनाकर पीने से दमा की शिकायत दूर होती है.
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मधुमेह की बीमारी में भी दूधी की दवाई फायदेमंद होती है.
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खुजली होने पर मक्खन में दुधिया मिलाकर लगाने से आराम मिलता है.
आपको बता दें कि दूधिया एक ऐसी औषधि है, जो आसानी से मिल सकती है. इसके लिए किसी तरह की कीमत भी नहीं देनी पड़ती है. यह प्रकृति द्वारा दिया गया अनमोल वरदान है. मगर ध्यान रहे कि हार्ड अटैक वाले रोगियों और गर्भवती महिलाओं को भी इसका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए.
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