हम आपको एक ऐसी घास के बारे में बता रहे है जो औषधीय गुणों से भरपूर होती है. औषधीय गुणों की मौजूदगी के कारण इसको आयुर्वेद में ‘महाऔषधि’ का दर्जा दिया गया है. इसके पौधे की जड़ों, तने और पत्तियां सभी का चिकित्सा के क्षेत्र में विशेष महत्व है. इसका स्वाद थोड़ा कसैला-मीठा होता है. ये विभिन्न प्रकार के पित्त एवं कब्ज आदि समस्याओं को दूर करती है. इसका इस्तेमाल पेट , यौन रोगों और लीवर आदि समस्याओं को दूर करने के लिए काफी लाभकारी है. तो आइये आपको बताते है इसके फायदों के बारे में.
इम्यून सिस्टम में बढ़ोतरी
दूब (दुर्वा) घास का सेवन प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है. यह एक सस्ती प्रतिरक्षा बूस्टर है. इसमें मौजूद तत्व एंटीवायरल और एंटी-माइक्रोबियल गतिविधि प्रतिरक्षा स्वास्थ्य को बढ़ाने और विभिन्न बीमारियों से लड़ने में सहायता करते है.
शुगर कंट्रोल
दूब घास मधुमेह से जुड़े विकारों और स्थितियों की रोकथाम में काफी फायदेमंद है. नीम के पत्तों के रस के साथ दूब घास का रस रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य करने में सक्षम है. यहां तक पुरानी मधुमेह के लिए भी दूब घास का रस पीने से शर्करा का स्तर नियंत्रित रहता है. इसलिए सुबह खाली पेट जूस पीना से शुगर लेवल सामान्य रहता है और आप भी तंदरुस्त महसूस करते है.
मुंह के छालें
दूब घास को पानी में उबाल कर रोजाना कुल्ला करने से मुंह में पड़े छालों से कुछ दिनों में ही राहत मिलने लगती है.
पेट की पथरी
दूब घास की जड़ को अच्छे से पीसकर उसे पानी में मिलाकर उसमें हल्की सी मिसरी मिलाकर रोजाना सेवन करने से पेट की पथरी पूरी तरह नष्ट होने लगती है.
खुजली की समस्या
दूब घास के रस को तिल के तेल में अच्छे से मिलाकर शरीर पर लगाने से खुजली की समस्या से निजात मिलती है
सिर दर्द से राहत
अगर आपको बहुत ज्यादा सिरदर्द होता है तो आप दूब घास को पीसकर चंदन की तरह माथे पर लगाए इससे आपको सिर दर्द से राहत मिलेगी.
ऐसे बनाये इसका काढ़ा
दूब का शुद्ध रस - 10 - 20 मिलीलीटर
जड़ का चूर्ण - 3-6 ग्राम
पानी - 40-80 मिलीलीटर
दूब की पत्तियों का चूर्ण - 1-3 ग्राम
इन सबको अच्छे से मिलाकर इसका काढ़ा बनाकर पिए
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