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Henna cultivation: मेहंदी की खेती करने से होगी बंपर कमाई, यहां जानें इसकी पूरी विधि

मेहंदी जिसे लासोनिया इनर्मिस के नाम से भी जाना जाता है, यह एक बारहमासी झाड़ीदार पौधा है, जो व्यावसायिक रूप से पत्ती उत्पादन के लिए उगाया जाता है. इसकी खुशबू के कारण इसे मद्यंतिका भी कहा जाता है. मेहंदी के पत्तों में 'लासोन' नामक एक यौगिक होता है जिसका उपयोग बालों और शरीर को रंगने के लिए किया जाता है.

देवेश शर्मा
देवेश शर्मा
मेंहदी की खेती करने के तरीका
मेंहदी की खेती करने के तरीका

मेहंदी एक प्राकृतिक पौधा हैजिसके पत्तेफूलबीज और छाल में औषधीय गुण होते हैं और यह प्राकृतिक रंग का प्रमुख स्रोत है. त्योहारों के दौरान विवाहित महिलाओं की हथेलियों पर मेहंदी की सजावट सुंदरता और सौम्यता का प्रतीक मानी जाती है. इसके रोग-निवारक गुणों का आयुर्वेद में बखूबी वर्णन किया गया है. सिर्फ शादी ही नहीं बल्कि कई महत्वपूर्ण त्योहारों पर हाथों पर मेहंदी लगाना शुभ माना जाता है. मेहंदी जहां हथेली और बालों की खूबसूरती बढ़ाती है वहीं सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होती है.

मेहंदी से होने वाल फायदे

  यह एक बहुमुखी फसल है जो निश्चित आय प्रदान करती है.

 बारानी मेंहदी की खेती सीमित खाद-उर्वरक उपयोग और न्यूनतम प्रबंधन के साथ सफलतापूर्वक की जा सकती है.

 मिट्टी के कटाव को रोकनेमिट्टी के आवरण को बनाए रखने और मिट्टी में जल संरक्षण बढ़ाने में मेहंदी  प्रभावी है.

 हर घर में सौंदर्य प्रसाधन के रूप में इसके उपयोग के कारणइसे बाजार में लाना आसान है.

 बहुवर्षीय फसल होने के कारण मेहंदी से हर साल उपज और आय सुनिश्चित होती है इसलिए हर बार एक नई फसल लगाने की जरूरत नहीं होती हैयानी एक बार लगाओ और कई सालों तक उपज प्राप्त करो.

 मेहंदी खेतों में या बगीचों की घेराबंदी में फसल सुरक्षा के लिए उपयोगी होती है.

 मेहंदी का पौधा आसपास के वातावरण को सुगंधित रखता है.

 मेकअप के साथ-साथ मेहंदी आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधीय पौधा है.

मेंहदी का खेत तैयार करने की विधि 

मेहंदी की सफल खेती के लिए बारिश के मौसम से पहले खेत को सही तरीके से तैयार कर लें ताकि पानी का संरक्षण किया जा सके. खेत से खरपतवार निकालने के बाद डिस्क हैरो और कल्टीवेटर से गहरी जुताई करें. बारिश शुरू होने पर डिस्क हैरो और कल्टीवेटर से खेत की जुताई करने के बाद पाटा चलाकर खेत को समतल कर देना चाहिए.

मेहंदी की वेराइटी

मेहंदी के स्वस्थचौड़े और घने पत्तों वाले समान पौधों से बीज एकत्र करें. जब बीज पक जाएं तो बीज को पौधों से निकालकर धूप में सुखाकर बुवाई के लिए प्रयोग करना चाहिए. देशी किस्में जिनकी टहनियाँ पतली और सीधी होती हैंखेती के लिए उपयुक्त होती हैं. ज्यादा उपज देने वाली किस्में S-8, S-22 हैंऔर खेडब्रह्म को काजरीजोधपुर से विकसित किया गया है.

मेहंदी लगाने का सही समय

मेहंदी की बुवाई फरवरी-मार्च (जब तापमान 25-30 डिग्री सेल्सियस हो) में करनी चाहिए और मानसून आने के बाद जुलाई-अगस्त में रोपाई करनी चाहिए. मेहंदी को सीधे बीज द्वारा या नर्सरी में पौध लगाकर या ग्राफ्टिंग विधि द्वारा लगाया जा सकता है. लेकिन व्यावसायिक खेती के लिए रोपण विधि सर्वोत्तम है.

खाद डालने का तरीका

खेत की अंतिम जुताई के समय 8-10 टन सड़ी हुई खाद प्रति हेक्टेयर मिट्टी में मिलाकर खड़ी फसल में 60 किग्रा नाइट्रोजन एवं 40 किग्रा फास्फोरस प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष डालें. पहली वर्षा के बाद फॉस्फोरस की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा निराई-गुड़ाई के समय मिट्टी में मिला देना चाहिए और शेष नाइट्रोजन वर्षा होने के 25 से 30 दिन बाद देना चाहिए. इसके बाद स्थापित मेंहदी के खेतों में पहली निराई-गुड़ाई के समय पौधों की पंक्तियों के दोनों ओर 40 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर देना चाहिए.

कटाई का सही समय

आमतौर पर मेहंदी के पौधे को साल में दो बार यानी मार्च से अप्रैल और नवंबर से अक्टूबर तक काटा जाता है. मेहंदी के पत्तों को कटाई और थ्रेसिंग के बाद जूट की बोरियों में रखें. पत्ती के तनों को बाहर धूप या खुली जगह में न रखें.

मेहंदी में होती है इतनी पैदावार

सामान्य परिस्थितियों में उन्नत फसल पद्धतियों को अपनाकर मेहंदी प्रति वर्ष लगभग 15 से 16 क्विंटल सूखे पत्तों का उत्पादन कर सकती है. रोपण के पहले 2-3 वर्षों के लिए 7-8 क्विंटल उपज प्राप्त होती है.

English Summary: know here how to do henna farming Published on: 24 September 2022, 06:04 IST

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