देश में ऐसे कई लोग होंगे, जिन्होंने आज से पहले गुग्गुल का नाम नहीं सुना होगा. यह एक प्रमुख औषधीय पौधा है. जो आज के समय में किसानों की कमाई बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है. गुग्गुल को कॉमीफोरा नाम से भी जाना जाता है. यह पौधा मुख्य रूप से भारत के उपमहाद्वीप इलाकों में देखने को मिलता है. इस पौधे का ज्यादातर इस्तेमाल आयुर्वेदिक चिकित्सा में होता है. तो आइये गुग्गुल के बारे में विस्तार से जानें.
यहां होता है गुग्गुल का इस्तेमाल
गुग्गुल का धूप के रूप में उपयोग भी किया जाता है. यहां तक कि गुग्गुल से गोंद तक का निर्माण होता है. बता दें कि इसकी जड़ों से प्राप्त किए जाने वाले तेल को आयुर्वेदिक व होमियोपैथिक दोनों चिकित्सा में उपयोग किया जाता है. यह पौधा कार्डियोवास्कुलर स्वास्थ्य, सौंदर्य और वजन घटाने में मददगार हो सकता है. यह इंफ्लेमेशन कम करने, ब्लडप्रेशर नियंत्रित करने, कोलेस्ट्रॉल को कम करने और लिपिड प्रोफाइल को सुधारने में भी सहायक हो सकता है. इसके अलावा, गुग्गुल को हाथ, पैर और जोड़ों के दर्द के इलाज में भी प्रयोग किया जाता है. यह त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है.
गुग्गुल की खेती
गुग्गुल की खेती करके किसान गुग्गुल के पौधों को उगाते हैं. इसके लिए उपयुक्त मिट्टी, पानी और उचित पर्यावरणीय तत्वों की आवश्यकता होती है. यह पौधा साल में एक बार उगता है और कुछ समय बाद ही गुग्गुल बनाने के लिए कटाई की जाती है. गुग्गुल के पौधों की कटाई के बाद उन्हें सुखा दिया जाता है. सुखाने के बाद, गुग्गुल की गोंद या रस तैयार की जाती है. जो औषधीय उपयोग में इस्तेमाल होती है.
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ऐसे हो सकती है कमाई
गुग्गुल उत्पादन करके लोग उन्हें आयुर्वेदिक चिकित्सा या औषधीय उत्पाद कंपनियों को बेच सकते हैं. जिससे अच्छी खासी कमाई हो सकती है. भारतीय गुग्गुल को अन्य देशों में निर्यात करके भी कमाई की जा सकती है. गुग्गुल की मांग विदेशी बाजारों में भी काफी होती है.
गुग्गुल का पौधा प्रमुख रूप से भारत के थार मरुस्थली क्षेत्र (जैसलमेर, बीकानेर और जोधपुर) में पाया जाता है. इसके अलावा यह पौधा मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश जैसे क्षेत्रों में भी पाया जाता है.
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