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औषधीय गुणों से युक्त कालमेघ देगा सेहत को भरपूर आराम

कालमेघ, किरयति आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक औषधीय गुणों से युक्त पौधा है. इसकी पत्तियों में कालमेघीन पाया जाता है. यह पौधा भारत और श्रीलंका में पाया जाता है. इस पौधे का तना बिल्कुल सीधा होता है जिसमें से चार शाखाएं निकल पड़ती है. इसके पौधे की पत्तियां हरी और साधारण ही होती है. कालमेघ के फूल का रंग गुलाबी होता है. इसके पौधे को बीज के सहारे तैयार किया जाता है. इसे मई जून में नर्सरी में डालकर या खेतों में छिड़ककर तैयार किया जाता है. यह पौधा छोटा कद वाला शाकीय छाया युक्त होता है.

किशन
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कालमेघ, किरयति आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक औषधीय गुणों से युक्त पौधा है. इसकी पत्तियों में कालमेघीन पाया जाता है. यह पौधा भारत और श्रीलंका में पाया जाता है. इस पौधे का तना बिल्कुल सीधा होता है जिसमें से चार शाखाएं निकल पड़ती है. इसके पौधे की पत्तियां हरी और साधारण ही होती है. कालमेघ के फूल का रंग गुलाबी होता है. इसके पौधे को बीज के सहारे तैयार किया जाता है. इसे मई जून में नर्सरी में डालकर या खेतों में छिड़ककर तैयार किया जाता है. यह पौधा छोटा कद वाला शाकीय छाया युक्त होता है. भारत में यह पौधा बंगाल, बिहार, उड़ीसा में ज्यादा पाया जाता है. इस पौधे का स्वाद कड़वा होता है. कालमेघ के जड़ से लेकर पत्तियों तक का प्रयोग औषधि के रूप में होता है. सीमैप के वैज्ञानिकों के अनुसार इसको सहफसली के रूप में किसान आमदनी को बढ़ा सकते है. आम, अमरूद, अनार की बागवानी में भी इसकी खेती हो सकती है.

इस माह मे करें रोपण

कालमेघ की फसल को जून के जूसरे सप्ताह से जुलाई माह तक के लिए क्यारियां बनाकर रोपण करते है. भूमि उर्वरता के अनुसार पंक्ति से पंक्ति की दूरी 33-61 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 32-44 सेमी रखते है. सहफसली के रूप में खेती करने पर बागवानी के अनुसार इसके पौधों के रोपण हेतु क्यारियों को बनाना चाहिए. आम और अमरूद की बागवानी में इसकी रोपाई करने से किसान काफी बड़ा लाभ ले सकते है.

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यूपी के किसानों का मोहभंग

यूपी में भी इसकी खेती बुदेंलखंड और लखनऊ में होती थी लेकिन अब यह धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है. इस संबंध में डीलर कह रहे हैं कि इसका बाजार भाव मध्यप्रदेश से ही तय हो जाता है. इसीलिए लोगों ने यहां पर इसकी खेती को बंद करना शुरू कर दिया है. काफी कम ही किसान इसकी खेती करते है.

लाखों का शुद्ध लाभ

सहखेती की अवस्था में इसकी दो बार कटाई से आठ टन तक सूखी शाक मिल जाती है. चालीस से पचास रूपये किलो में इसका शाक बिक जाता है. एक हेक्टेयर में लगभग तीन लाख रूपये मिल जाते है जबकि खेती में 45 हजार के लगभग खर्च आता है. शुद्ध आय 2.65 लाख रूपये तक हो जाती है.

कालमेघ है सेहत के लिए उपयोगी

कालमेघ का स्वाद काफी कड़वा होता है. इसकी पत्तियां पीलिया, पेचिश, सिरदर्द आदि के लिए काफी ज्यादा लाभदायक होती है. कालमेघ मलेरिया आदि ज्वर के लिए तो रामबाण है ही इसके अलावा किसी भी तरह का ज्वर हो तो, यदि दवाओ का असर नहीं हो रहा है और काफी दिन हो गये हैं तो डॉक्टर इसको प्रयोग करने की सलाह देते है. इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काफी ज्यादा होती है. कालमेघ का सेवन करने से गैस, वात और चर्मरोग नहीं होता.

English Summary: Calmehg with medicinal properties will give you plenty of comfort Published on: 29 June 2019, 11:02 IST

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