कैक्टस के पौधोंको आम तौर पर काम का पौधा नहीं समझा जाता. प्राय लोगों का मानना यही है कि इसकी खेती किसी तरह की लाभ नहीं दे सकती. लेकिन अगर हम आपको बताएं कि इस पौधें की मांग भारत में ही नहीं बल्कि बाहरी देशों में भी खूब है, तो क्या आप यकिन करेगें.जी हां, भले आप इस बात पर यकिन न करें, लेकिन बंजरभूमि पर उगने वाला यह पौधा कई औषधीय गुणोंसे भूरपूर है. कैक्टस की कई तरह की किस्म पहचान में आ चुकी है और सभी में पौधों पर कांटोंका होना उनके कुल की समानता को दर्शाता है. वैसे इसमें कई तरह के फूल भी उगते हैं, जिसका बाजार में अच्छा दाम है.
40 फीट तक हो सकती है लम्बाई
कैक्टस के कुल में कुछ ऐसी किस्में भी है, जिसकी लम्बाई 40 फीट तक हो सकती है. भारत के अलावा इस पौधें को अमेरिका के एरिजोना रेगिस्तानी क्षेत्रों में पाया जाता है.मैक्सिको के रेगिस्तानीक्षेत्र एवं कैलिफोर्निया के पहाड़ी क्षेत्र भी इशके लिए प्रसिद्ध है.
कैक्टस का हलवा
कैक्टस का इस्तेमाल दवा के रूप में उपचार के लिए होता है. वैसे आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि इस पौधें को खाया भी जाता है. जी हां, कई तरह के स्वादिष्ट पकवान बनाने के लिए इनका उपयोग होता है. इसकी कोमल शाखाओं का उपयोग मीठी रेसिपीज़ बनाने के काम आता है. इससे हलवा भी बनाया जाता है, जो लोगों को अति प्रिय है.
कैक्टस के दूध से बना सकते हैं काजल
कैक्टस में मोलस्यूसाइडल गुणोंसे भूरपूर होता है. विशेषज्ञों की माने तो इसके गोंद में लार जैसा तत्व निकलता है, जिसकी सहायता से काजल बनाया जा सकता है.
रोगों के उपचार में है रामबाण
आर्थराइटिस (गठिया रोग) के उपचार में इसका मुख्य तौर पर उपयोग होता है. यह बवासीर की परेशानी में भी उपयोगी है.
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