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केले की फसल को फंगल इन्फेक्शन से बचाने के लिए विकसित किया गया Bio formula

सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ सबट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर (Central Institute for Subtropical Horticulture) ने केले की फसलों को फंगल इन्फेक्शन 'फुसैरियम ऑक्सिस्पोरम TR4', या पनामा विल्ट से बचाने के लिए एक जैव सूत्र (Bio formula ) तैयार किया है जो कई देशों में केले की फसलों को फंगल इन्फेक्शन से बचाने में मदद करेगा. जिसमें केले की विनाशकारी बीमारी पनामा-विल्ट के नियंत्रण के लिए एक नवीन आईसीएआर-फ्यूजीकॉट तकनीक को तैयार किया गया है. इस नई तकनीक का सफल प्रयोग उत्तर प्रदेश राज्य के पनामा-विल्ट बीमारी से प्रभावित इलाकों में किया गया और इसे पनामा विल्ट के ट्रॉपिकल रेस-4 के प्रबंधन के लिए भी उत्तम माना गया.

मनीशा शर्मा
मनीशा शर्मा
bannana

सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ सबट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर (Central Institute for Subtropical Horticulture)  ने केले की फसलों को फंगल इन्फेक्शन 'फुसैरियम ऑक्सिस्पोरम TR4', या पनामा विल्ट से बचाने के लिए एक जैव सूत्र (Bio formula ) तैयार किया है जो कई देशों में केले की फसलों को फंगल इन्फेक्शन से बचाने में मदद करेगा. जिसमें केले की विनाशकारी बीमारी पनामा-विल्ट के नियंत्रण के लिए एक नवीन आईसीएआर-फ्यूजीकॉट तकनीक को तैयार किया गया है. इस नई तकनीक का सफल प्रयोग उत्तर प्रदेश राज्य के पनामा-विल्ट बीमारी से प्रभावित इलाकों में किया गया और इसे पनामा विल्ट के ट्रॉपिकल रेस-4 के प्रबंधन के लिए भी उत्तम माना गया.

इसके लिए कोलंबिया और अन्य लैटिन अमेरिकी देशों जैसे - अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया के कुछ हिस्सों में 'केले के आपातकाल' की घोषणा की गई है, जहां फसल पर जानलेवा बीमारी का हमला हुआ है, जिससे पौधे के गलने का खतरा पैदा हो गया है. केला की खेती यूपी में सबसे अधिक होती है और अब सरकार भी बिहार, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों को भी इस फसल की खेती के लिए जागरूक कर रही है. वर्तमान समय में यूपी में 92 लाख हेक्टेयर जमीन पर केले की खेती हो रही है.

banana

उत्तर प्रदेश के केले का आकार और  वजन अन्य राज्यों के मामले में अधिक होता है जिस वजह से अन्य राज्यों में इस राज्य की केले की मांग ज्यादा रहती हैं. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में  एक कवक रोग ने राज्य के पूर्वी हिस्से- कुशीनगर और  गोरखपुर इसके साथ ही बिहार के कटिहार में फसल को काफी हद तक नष्ट कर दिया है. CISH के  निदेशक ने बताया कि यह बीमारी नेपाल से घाघरा, कोसी और गंडक नदियों के माध्यम से उत्तर प्रदेश के खेतों में पहुंच गई और धीरे-धीरे इसने फसल को नुकसान पहुंचाया, जिससे केले की खेती करने वालों में डर पैदा हो गया.

इस बीमारी को इतना चुनौतीपूर्ण माना जाता है कि एक बार जब यह एक पौधे या फसल को पकड़ लेता है, तो इसे हटाया जाना लगभग असंभव है. यह पौधे की संवहनी प्रणाली की जड़ों और ब्लॉकों पर हमला करता है. उन्होने आगे कहा कि अन्य मिट्टी में रहने वाले उपभेदों की तरह, टीआर 4 को कवकनाशी और फ्यूमिगेंट्स का इस्तेमाल करके इस रोग को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है.

English Summary: This special medicine developed to save the banana crop Published on: 05 September 2019, 12:02 IST

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