भारत के लगभग हर राज्य में संतरे की खेती होती है. खाने के अलावा इसे रस के रूप में भी पिया जाता है. विशेषज्ञों की मानें तो शरीर को ठंडा एवं मन को प्रसन्न रखने में इसका कोई मुकाबला नहीं है. भारत के अधिकांश व्रत, त्योहार एवं उपवास जैसे धार्मिक क्रियाकलापों में संतरे का सेवन किया जाता है तो वहीं चिकित्सा विज्ञान की दृष्टि से भी इसे लाभकारी ही माना जाता है. तमाम हॉस्पिटल के बाहर आपको संतरे का जूस आराम से मिल ही जाएगा. शायद यही कारण है कि देश में सतंरे की मांग खूब बढ़ रही है और इसकी खेती से मुनाफ़ा हो रहा है.
वैसे आप अगर चाहें तो विष्णु तिवारी की तरह ही संतरे की खेती से लाखों का मुनाफ़ा कमा सकते हैं. विष्णु मध्य प्रदेश के सतना जिले के (बिरसिंहपुर तहसील) पगारकला ग्राम निवासी हैं. वो मुख्य रूप से गेंहू चना की खेती करते हैं लेकिन संतरे का बगीचा भी उन्हें बड़ा मुनाफ़ा ही दे रहा है. इससे मिलने वाली आमदनी ने उनकी मानों किस्मत ही बदल दी.
विष्णु के संतरों की मांग स्थानीय बाजार में खूब है. वो बताते हैं कि एक एकड़ में लगाये संतरे के पौधों से हर वर्ष 4 से 5 लाख की आमदनी हो जाती है. उनकी सफलता को देखते हुए गांव के दो अन्य किसान भी अब संतरे की खेती ही कर रहे हैं.
विष्णु तिवारी वैसे जीरो बजट की जैविक खेती कर रहे हैं. वो रासायनिक खादों या कीटनाशक व महंगे संसाधनों का उपयोग नहीं करते हैं. देश के कई कृषि विशेषज्ञों का यही मानना है कि संतरे की फसल के लिए भारत के अधिकतर क्षेत्रों की जलवायु अनुकूल है. वैसे इस समय संतरे का दाम 50 रुपये केजी औसतन है जो आने वाले समय में और बढ़ सकता है.
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