जब भी आप बीमार पड़ते हैं तो संभवत: डॉक्टर आपको सेब खाने की सलाह देता है. आप भी बिना किसी संदेह के किसी भी अस्वस्थ दोस्त या जानकार से मिलने जाते हैं तो आमतौर पर सेब लेकर जाते हैं. आप ऐसा इसलिए करते है क्योंकि ये बात सर्वविदित है कि फलों का राजा भले आम हो लेकन सेहत का सबसे अच्छा दोस्त सेब ही है. सेब लोकप्रिय फलों में से एक है. लेकिन फिर भी ये बात कम ही लोगों को मालूम है कि दुनिया के 20 से अधिक देशों के सेब भारत में पहुंच चुके हैं और यहां उनकी भारी मांग है.
भारत के अलावा यहां होती है सेब की खेती
भारत में के अलावा सेब की खेती यूएसए, यूके, इजरायल और रूस में प्रमुख तौर पर होती है. वहीं चीन, अर्जेंटीना, जर्मनी और कनाडा में भी इसकी खेती होती है. स्विट्जरलैंड, आस्ट्रेलिया, नीदरलैंड और जापान में होने वाला सेब स्वाद में कुछ अलग होता है.
ये हैं सेब की उन्नत किस्मेः
शीघ्र उगने वाली किस्मेः सेब की ये किस्में बहुत जल्द ही उग जाती है और इनकी खेती करना प्राय आसान होता है. इन किस्मों में टाइडमैन अर्ली वारसेस्टर, वान्स डेलिशियस, टाप रेड प्रमुख है. जबकि रेड स्पर डेलिशियस, रेड जून, रेड गाला, रॉयल गाला की भी बाजार में भारी मांग है.
मध्यम समय वाली किस्मेः इन किस्मों को उगने में थोड़ा अधिक समय लगता है और ये स्वाद में बहुत टेस्टी होते हैं. इन किस्मों में स्कार्लेट गाला, ब्रेवर्न, रेड फ्री, रियल मेकाय, इम्प्रूव्ड रेड आदि फेमस हैं. इसके अलावा रायल डेलिशियस, गोल्डेन डेलिशियस, कोर्टलैन्ड, रेड गोल्ड आदि भी लोगों द्वारा खास पसंद किये जाते हैं.
देर से तैयार होने वाले सेबः इन सेबों पर मेहनत अधिक करनी पड़ती है और ये अधिक मुनाफा देते हैं. इन किस्मों में आमतौर पर रैड फ्यूजी, ग्रेनी स्मिथ, एजटेक और राइमर की मांग अधिक है. वहीं बकिंघम की भी अच्छी डिमांड है.
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