भारत की अर्थव्यवस्था में बेशक कृषि की एक खास भूमिका है जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सराहा है. प्रधानमंत्री कई बार सार्वजनिक मंचों से कृषि को फायदेमंद बनाने की बात कह चुके हैं. इसी क्रम में नीति अयोग ने भी साल 2022-23 तक कृषकों की आय दोगुनी करने का संकल्प लिया है. इसके बावजूद भी मौसम की मार, फसलों की सही खरीद न होने से किसानों की दुर्दशा की खबरें प्रायः देखी-सुनी जाती हैं. इन सबके बीच भी कुछ विशेष लोगों के जज़्बे से खेती के सुनहरे भविष्य की उम्मीदों को पंख लग जाते हैं. ऐसी ही एक शख्सियत का नाम है, वासिनी बाई. आज हम आपको बताएंगे उनकी सफलता की कहानी जो आपको भी खेती के द्वारा तकदीर बदलने के लिए प्रेरित जरूर करेगी.
महिला किसान ने दिखाई स्वावलंबन की राह:
वासिनी बाई ने अपने सराहनीय प्रयास से यह सिद्ध किया है कि सही योजना व लगन के साथ खेती और बागवानी किसी भी अन्य व्यवसाय से ज्यादा लाभदायक हो सकती हैं. वासिनी को एन्थेरियम पौधो में रुचि 1970 में जगी जब उनका बेटा एन्थेरियम प्रजाति के दो पौधे ले आया. 1985 तक उन्होंने एन्थेरियम की पहली प्रजाति एन्थेरियम डोरा का विकास कर लिया. जबकि 1985-2000 के बीच इन्होने पांच अन्य प्रजाति -आकाश, जाएन्ट पिंक, जार्ज, जेवी रेड, तथा जेवी पिंक विकसित कर लीं. उनके अनुसार एन्थेरियम प्रजाति के पुष्प को पॉली हाउस (poly house) में उगाकर कम स्थान का उपयोग करके भी अधिक लाभ कमाया जा सकता है.
राष्ट्रपति ने किया सम्मानित:
केरल की महिला किसान वासिनी बाई को घरेलू सजावट के पौधे एन्थेरियम की 6 नयी प्रजातियां तैयार करने के प्रशंसनीय कार्य के लिए विभिन्न पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका है. जिनमें साल 2017 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा दिया गया सम्मान भी शामिल है.
बाजार में बढ़ती जा रही फूलों की मांग
वासिनी द्वारा उगाये गए एन्थेरियम के पुष्प अपने आकार तथा विभिन्न रंग संयोजन के कारण अनुपम होते हैं. उनके द्वारा उगाये गये फूलों की मांग बाजार में बढ़ती जा रही है. जिनमें पुणे तथा तिरुवनंतपुरम के फूल बाजार प्रमुख है.
एन्थेरियम प्रजाति की उत्पत्ति और उपयोग:
एन्थेरियम प्रजाति के फूलों के पौधों की उत्पत्ति अमेरिकी महाद्वीप से मानी जाती है. जहाँ से इसका वितरण मैक्सिको से लेकर अर्जेन्टीना तक पाया जाता है. इस पौधे को उगाने के लिए ऊष्ण कटिबंधीय जलवायु आदर्श होती है. वैसे इनको घर के अन्दर गमलों में 16-22 डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी उगाया जा सकता है. एन्थेरियम के फूलों घर के अंदर रखने पर देखने में तो आकर्षक लगते हैं, इसके अलावा इनकी सबसे बड़ी विशेषता घरेलू वातावरण को शुद्ध करना है.
नासा की एयर प्योरिफायर पौधों की सूची में शामिल
ये पौधे घरेलू वायु में घुलित हानिकारक प्रदूषको जैसे फार्मेल्डिहाईड, अमोनिया, टूलिन, जाईलिन तथा अन्य एलर्जी उत्पन्न करने वाले तत्वों को अवशोषित कर लेते हैं. एन्थेरियम प्रजाति के पौधौं के इसी गुण के कारण इन्हें अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की एयर प्योरिफायर पौधों की सूची में स्थान प्राप्त है. बता दें कि एयर प्योरिफायर पौधों का उपयोग नासा अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के दौरान अंतरिक्ष यान के कॉकपिट के वातावरण को शुद्ध रखने के लिये करता है.
लाभदायक है एन्थेरियम की खेती :
एन्थेरियम पौधों के वैज्ञानिक गुण उन्हें व्यावसायिक खेती के लिए आदर्श बनाते हैं. वातावरण को शुद्ध बनाने के साथ ही साथ ये पौधे घरेलू सजावट के लिए आदर्श होते हैं. ये काफी दिनों तक सुरक्षित रखें जा सकते हैं जिसके कारण इनका बाजार मूल्य अच्छा मिलता है.
एन्थेरियम का बाजार मूल्य
अगर मूल्य की बात करें तो एन्थेरियम 25-40 रुपए प्रति फूल तथा प्रति पौधा 400 रुपए का बाजार में बिकता है. आज कोरोना संकट के बीच अनिश्चित आर्थिक परिवेश में ये बागवानी रोजगार का बेहतर विकल्प बन सकती है.
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