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वर्मीकम्पोस्ट तैयार करें और उत्पादन बढ़ाएं..

वर्मीकम्पोस्ट जैविक खेती में एक प्रमुख खाद निर्माण की तकनीक है इस तकनीक से खेती को कम खर्चीला बनाया जा सकता है तथा मृदा स्वास्थ्य को अच्छा बनाये रखने एवं लम्बे समय तक अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए जैविक खेती को अपनाना आवश्यक है।

वर्मीकम्पोस्ट जैविक खेती में एक प्रमुख खाद निर्माण की तकनीक है इस तकनीक से खेती को कम खर्चीला बनाया जा सकता है तथा मृदा स्वास्थ्य को अच्छा बनाये रखने एवं लम्बे समय तक अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए जैविक खेती  को अपनाना आवश्यक है।

केंचुए के बारे में जानकारी : प्रकृति में लगभग केंचुए की 4200 प्रजातियाँ पाई जाती है परन्तु केवल 293 प्रकार की प्रजातियाँ ही खेती में लाभदायक है। उपरोक्त सभी प्रजातियों को को उनके रहने की आदत के अनुसार दो भागों में बांटा जा सकता है।

1- गहरी सुरंग बनाने वाले केंचुए।

2- सतही सुरंग बनाने वाले केंचुए।

लम्बाई : गहरी सुरंग बनाए वाले केंचुऐ 8-10 इंच तक लम्बे होते है जबकि सतही सुरंग बनाने वाले केंचुऐ की लम्बाई 3-4 इंच होती है।

वजन : गहरी सुरंग बनाए वाले एक केंचुऐ का वजन लगभग ५ ग्राम तक होता है जबकि सतही सुरंग बनाने वाले केंचुऐ का वजन लगभग आधा से एक ग्राम तक होता है।

सुरंग : गहरी सुरंग बनाए वाले केंचुऐ जमीन में लगभग 8-10 फीट तक की स्थाई सुरंग बनाकर रहना पसंद करते है जबकि सतही सुरंग बनाने वाले केंचुऐ सवा से डेढ़ फीट तक ही सुरंग बनाते है।

खाने की आदत : गहरी सुरंग बनाए वाले केंचुऐ 90% तक मिट्टी ही खाते है एवं 10% कार्बनिक पदार्थ खाते है जबकि इसके ठीक विपरीत सतही सुरंग बनाने वाले केंचुऐ 90% सड़ा गला कार्बनिक पदार्थ खाते है एवं 10% तक मिट्टी ही खाते है। कार्बनिक पदार्थ में मुख्य रूप से सड़ा-गली सब्जियाँ, सड़ा-गला गोबर, फसल अवशेष इत्यादि।

वर्मीकम्पोस्ट तकनीक क्या है..?

केंचुऐ को वैज्ञानिक विधि से नियंत्रित दशाओं में प्रजनन एवं पालन कर जो खाद तैयार किया जाता है उसको वर्मीकम्पोस्ट अथवा केंचुऐ की खाद कहा जाता है। 

वर्मीकम्पोस्ट कैसे तैयार करें..?

इस खाद को तैयार करने के लिए सबसे पहले किसान के पास आवश्यक छायादार स्थान होना चाहिए एवं इसकी लम्बाई पूर्व से पश्चिम की दिशा में रखे साथ में अगर पेड़ों की छाया रहती हो तो अधिक उपयुक्त है तथा सुबह शाम थोड़ी देर के लिए धुप पड़ती हो वहां पर वर्मीकम्पोस्ट की इकाई का निर्माण किया जा सकता है। साथ ही यदि आप चाहे तो सरकारी अनुदान पर मय छाया पक्का निर्माण भी करवा सकते है इसके लिए आप अपने स्थानीय कृषि सहायक अधिकारी से सम्पर्क करें।

वर्मीकम्पोस्ट बनाने में आवश्यक सामग्री : वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता पड़ती है।

1- प्लास्टिक शीट/ प्लास्टिक चदर

2- गोबर

3- चारा, फसल अवशेष एवं पेड़ पौधों की पत्तियाँ।

4- खेत की मिट्टी

5- केंचुऐ

6- पानी

सामग्री चयन :

प्लास्टिक शीट/ प्लास्टिक चादर : प्लास्टिक शीट/ प्लास्टिक चदर फटी हुई नहीं होनी चाहिए। रासायनिक उर्वरकों के कट्टो को अच्छी तरह से साफ कर और सिलाई करके भी शीट तैयार की जा सकती है।

गोबर, चारा, फसल अवशेष एवं पेड़ पौधों की पत्तियाँ : जो चारा पशु आहार में काम न आ सके उसे वर्मीकम्पोस्ट बनाने में काम लेवें, सड़ी हुई गोबर की खाद एवं सड़े हुए फसल अवशेष, नीम के पत्ते, वर्मीकम्पोस्ट बनाने के लिए कभी भी ताजा सामग्री का उपयोग न करें, इससे केंचुऐ मर सकते है।

खेत की मिट्टी : खेत की मिट्टी में से न सड़ने वाले पदार्थ को अलग कर घर के चूल्हे की राख मिलाकर उपयोग में लेवें। इससे खाद की गुणवत्ता बढ़ जाती है।

वर्मीकम्पोस्ट की बेड़ कैसे लगते है..?

सबसे पहले छायादार जगह पर प्लास्टिक की शीट बिछाते है,यदि जमीं कठोर और पक्का फर्श हो तो प्लास्टिक शीट बिछाने की जरूरत नहीं होती है।

पहली परत : सबसे पहले 3-4 इंच मोटी परत अर्ध शुष्क सड़े गले चारे की परत बिछा देते है इसमें नीम की सुखी पत्तियाँ को मिलाना लाभदायक होता है इससे खाद की गुणवत्ता बढ़ जाती है।

दूसरी परत : इसमें 75-90% तक ठंडा किया हुआ में 10–25% खेत की मिट्टी को मिलाकर 3-4 इंच मोटी परत बनाते है। मिट्टी में यदि राख मिला दे तो खाद में पोटाश की मात्रा बढ़ जाती है।

तीसरी परत : इस परत के रूप में केंचुऐ और केंचुऐ के अण्डों का मिश्रण को समान रूप से पूरी बेड में बिखेर देते है।

चौथी परत : इस परत में केवल ठंडा किया हुए गोबर की 3-4 इंच मोती एक तह लगाते है।

पांचवी परत : 3-4 इंच मोटी तह अर्द्ध शुष्क सड़े-गले चारे की लगा देते है।

वर्मीकम्पोस्ट में मुख्य सावधानियां : प्रत्येक परत बिछाने के बाद हल्का पानी का छिड़काव अवश्य करना चाहिए। सभी समग्री को आपस में अच्छी तरह मिलाकर भी तह बनाई जा सकती है लेकिन परत की कुल ऊंचाई डेढ़ फीट से अधिक  नहीं होनी चाहिए। मौसम के अनुसार पानी का छिड़काव करना चाहिए ताकि उसमे वंचित नमी बानी रहे। क्योंकि केंचुऐ के शरीर में लगभग 85% तक पानी की  मात्रा होती है। नमी अधिकता और काम वायु संचार केंचुऐ की सक्रियता घटा देती है। और पानी की कमी से केंचुऐ मर भी सकते है।सप्ताह में एक या दो बार हल्के हाथ से सामग्री को पलट देवे।

खाद को एकत्रित करना : जब वर्मीकम्पोस्ट की बेड़ की ऊपरी सतह उबली हुई चाय की तरह दिखे तब समझना चाहिए की खाद तैयार हो गई है। तैयार खाद को खुली जगह में ढेर लगाना चहिये। केंचुऐ प्रकाश की प्रति सवेदनशील होते है जैसे ही सूर्य की धुप केंचुओं पर पड़ेगी ये खाद के ढेर में घुस जायेगें और हाथ की अँगुलियों से खाद की परत को धीरे धीरे हटते रहे जब लगे की खाद के साथ केंचुऐ आ रहे है थोड़ी देर रुक जाये ये पुनः अंदर चले जायेंगे। अंत में खाद और केंचुऐ दोनों अलग अलग हो जायेगें।

वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग : जिस जगह 10 टन गोबर की खाद को काम में लिया जाता है वहां पर मात्र 3 टन वर्मीकम्पोस्ट पर्याप्त होता है।  फसलों में 5 टन एवं सब्जियों में 7.5 टन प्रति हैक्टेयर की दर से वर्मीकम्पोस्ट की जरुरत होती है।

इस तरह आप अपने घर पर पूर्ण जैविक खाद का निर्माण करके अपनी खेती में रासायनिक खाद के इस्तेमाल को कम या पूर्णतया बंद कर सकते है और वर्मीकम्पोस्ट का उपयोग करते हुए जैविक खेती की तरफ एक कदम बढ़ा सकते है.

English Summary: Prepare Vermicompost and increase production. Published on: 24 November 2017, 04:07 IST

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