सभ्यता की प्रारंभ से ही फूलों का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है. संदर्भ और शांति के प्रतीक फूल आर्थिक दृष्टिकोण से भी बहुत लाभदायक है. नीदरलैंड, इटली, जर्मनी और जापान न केवल फूलों के उत्पादन में सबसे आगे हैं बल्कि उपयोग में भी है. पुष्प उद्योग में कोलंबिया, कोस्टा-रिका, चिले, केन्या, रोजेशिया, मास्को, साउथ अफ्रीका इत्यादि देशों में तेजी से अपनी जड़े जमा रहे हैं. भारत में गुलाब, ग्लेडियोलस, एवं रजनीगंधा की काफी मांग है. कश्मीर गुलाब एवं कोलकाता से रजनीगंधा देश के बड़े शहरों में ले जाए जाते हैं. दक्षिण भारत से चमेली के फूल/Jasmine Flowers खाड़ी देशों में निर्यात किया जा रहे हैं. आर्किड, जरबेरा, बर्ड आफ पैराडाइज जैसे फूलों की मांग बड़े शहरों में तेजी से बड़ी है. ऐरोकेरिया, डाइफेनबैचिया जैसे शोभाकारी पौधों/Ornamental Plants की देश में भारी मांग है.
पूरे विश्व में यदि आज पुष्प उद्योग एक बड़े व्यवसाय/Flower industry is a big business की तरह उभर कर सामने आया है तो इसमें मुख्य भूमिका पुष्पीय पौधों के प्रवर्धन में हुई क्रांति की है. कटे हुए फूलों का कारोबार अनेक देशों में तेजी से बढ़ रहा है. अंतर्राष्ट्रीय विपणन के आधार पर पुष्पीय उत्पादों को निम्न वर्गों में विभक्त किया गया है.
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शल्क कंद, कंद एवं कंद मूल
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अन्य जीवित पौधे
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कटे पुष्प, कलियां, ताज़े/सूखे/रंगें हुए
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पर्णीय, शाखाएं, कंद एवं कंदीय मूल जो गमले में लगाए जा सके
उपरोक्त तमाम उत्पाद बड़ी मात्रा में उगाई जा सकते हैं यदि सूक्ष्म प्रवर्धित गुणात्मक युक्त पुष्पीय पौधों का उत्पादन बड़ी मात्रा में किया जाए. वृक्षों की तुलना में पुष्पीय पौधों सूक्ष्म और प्रवर्धन सरल है. सूक्ष्म प्रवर्धन की प्रक्रिया वही रहती है जो वैज्ञानिकों द्वारा बताई गई है किंतु पौधों के आधार पर प्रोटोकॉल बदल जाते हैं. कुछ एक पुष्पीय पौधों के सूक्ष्म प्रवर्धन की विधि का विवरण कृषि वैज्ञानिकों द्वारा दिया गया है.
गुलदाउदी का सूक्ष्म प्रवर्धन
गुलदाउदी एक आकर्षक फूल है जिसे क्राइसेंथेमम कोरोनरियम के नाम से जाना जाता है. इसके रंगों एवं आकार में भिन्नता इसे महत्वपूर्ण फूल बनती है.
जरबेरा का सूक्ष्म प्रवर्धन
जरबेरा एस्ट्रेसी/Gerbera Asteraceae कुल का महत्वपूर्ण पौधा है. कट पुष्प एवं गमले में लगाने के लिए उपयुक्त होने की वजह से विभिन्न देशों में एवं भारत में इसकी भारी मांग है. क्लम्प विभाजन द्वारा जरबेरा का प्रवर्धन परंपरागत ढंग से किया जाता है. यद्यपि इस विधि द्वारा गुणन दर बेहद कम रहती है. व्यावसायिक स्तर पर जरबेरा की खेती/ Gerbera Cultivation करने के लिए प्रचुर मात्रा में रोपण सामग्री की आवश्यकता पड़ती है जिसके लिए सूक्ष्म प्रवर्धन एक बेहद कारगर उपाय है. जरबेरा का सूक्ष्म प्रवर्धन विभिन्न एक्सप्लांट (अग्रप्ररोह, पुष्प कलिका,कैपिटुलम, पत्ती, टोरस, एवं पुष्पक्रम) द्वारा किया जा सकता है.
कैपिटुलम द्वारा सूक्ष्म प्रवर्धन
अग्र प्ररोह तुलना में कैपिटुलम द्वारा सूक्ष्म प्रवर्धन आसान रहता है क्योंकि यह निर्जमीकृत रहता है, दूसरे इस विधि द्वारा उत्तक संवर्धन करने में पौधे नष्ट नहीं होता. इसके प्रवर्धन के लिए पुष्पक्रम को तोड़कर कैपिटुलम को काट ले. फिर इस छोटे टुकड़े में काटकर मीडिया में लगाएं. इसमें आधी सांद्रता वाले एम एस मीडिया में साइटोकाइनिन (बी.ए अथवा काइनेटिन) एवं ऑक्सीजन डालकर लगाएं. कुछ दिनों में 10 से 12 प्ररोह निकल आते हैं, जिन में आसानी से जड़ों उत्पादन करके पौधे तैयार किया जा सकते हैं.
अग्र प्ररोह द्वारा सूक्ष्म प्रवर्धन
यह विधि क्लोनल प्रवर्धन के लिए सबसे उपयुक्त माध्यम है. इसमें जरबेरा की निर्जमीकृत क्लम्प से विकसित शाखों को काटकर साइटोकाइनिन हार्मोन की प्रचुरता वाले एम, एस, माध्यम में लगाकर गुणित करा सकते हैं. इन प्ररोहों को काट कर जड़ो उत्पादन के लिए लगा देते हैं.
सूक्ष्म प्रवर्धित पौधों का दशानुकूलन
दशानुकूलन सूक्ष्म प्रवर्धन का सबसे महत्वपूर्ण अंग है. आमतौर पर प्ररोह में जड़ो उत्पादन आधी सांद्रता वाले एम, एस, माध्यम में 0. 25 माइक्रो मोल एन, ए, ए, डालकर किया जाता है. जड़ निकल आने पर पौधे की पीट: परलाइट (1 : 1 ) के मध्य में लगाकर दशानुकूलित कर लेते हैं. कोलोपीट , स्फैगनम मास इत्यादि में भी इसे सफलता पूर्वक दशानुकूलित कर सकते हैं.
रबीन्द्रनाथ चौबे ब्यूरो चीफ कृषि जागरण, बलिया, उत्तर प्रदेश
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